
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्मांडा देवी के स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन साधक अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन शेर है। माँ कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना शुभकारी होता है. माता को हलुआ और दही का भोग भी लगाया जाता है. श्लोक - सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
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