
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
भगवान कार्तिकेय जी ने जब ताड़कासुर का संहार किया तब 33 कोटि देवताओं ने भगवान कार्तिकेय को वर प्रदान किया था. इसी क्रम में भगवान नारायण एवं माँ लक्ष्मी ने वर प्रदान किया हे स्कन्ददेव! हे कार्तिक देव! कार्तिक के माह में जो दीप दान करता है उसके घर कभी सम्पदा की कमी नहीं होगी. अतः जो भी भक्त संपदा की कामना रखते है वह इस माह दीपदान कर अपना मनोरथ पूरा कर सकते है. दीपदान कैसे करें: दीपदान के लिए कई भक्त नदी में दीप छोड़ते है जो की दीप दान नहीं है. यह दोष होता है दीपदान का सही तरीका है किसी पवित्र नदी के घाट पर पहले पानी छोड़े, फिर पूर्व की ओर मुख कर, भगवान का स्मरण करते हुए, अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए घाट पर दिया(दीपक) रखा जाता है. नदी में दीप छोड़ देना दीप दान नहीं है. (नोट: तुलसी दीपक भी तुलसी क्यारी से कुछ दुरी पर रखें तुलसी क्यारी में दीप न रखें) दीपदान का विशेष महत्व कार्तिक माह की पूर्णिमा को और भी ज्यादा एवं विशेष होता है. कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते है. नोट: आपसे निवेदन है इस तरह के उपायों को स्वयम तक सिमित न रखते हुए सभी से शेयर अवश्य करें, ताकि अन्य भक्तों के भी मनोरथ पुरे हो सकें. एवं उनके उपायों में कोई त्रुटी न रहें श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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