
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
करवा, माता पार्वती की सहेली, साधारण परिवार में जन्मी थीं। उनके पति गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। एक दिन, सरोवर पर पानी पीते वक्त एक मगरमच्छ ने उनके पति का पैर पकड़ लिया। उसी समय करवा शिव-पार्वती की पूजा कर रही थीं, लेकिन अपने पति की चीख सुनते ही दौड़ीं और सतीत्व के प्रभाव से घास से मगरमच्छ को बांध दिया। (गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की कथाओं के सभी उपाय अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करें - Gurudev Pandit Pradeep Mishra App) कुछ देर बाद यमदूत उनके पति की आत्मा लेने आए, लेकिन करवा ने विरोध किया और कहा, "मगरमच्छ को ले जाओ, मेरे पति को नहीं।" यमदूतों के इनकार पर करवा उन्हें श्राप देने लगीं। भयभीत यमदूत यमराज के पास गए। यमराज खुद आए और करवा को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब करवा ने श्राप देने का निर्णय लिया, तो यमराज उनके चरणों में गिर पड़े और उनके पति को जीवनदान दिया। हे देवी करवा आज चतुर्थी का दिन है तेरे पति को मैं जीवन दान देता हूँ. और तुझे वर देता हूँ आज के दिन जो तेरे नाम से व्रत करेगा उसका अखंड सौभाग्य स्वयं यमराज करेगा. इस तरह करवाचौथ का महत्व स्थापित हुआ. भगवान भोलेनाथ माँ पार्वती सभी सौभाग्यवती स्त्रियों को अखंड सौभाग्य प्रदान करें.. इसी भाव के साथ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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