
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
दीपावली पर्व के अंतर्गत गोवर्धन पूजा की जाती है. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार इस दिन प्रदोष काल में पूजा शुरू की जा सकती है. विशेष मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है. नोट: जहां परंपरा अनुसार गोवेर्धन बना कर पूजा की जाती है..वे अपनी स्थानीय मान्यता एवं परंपरा अनुसार पूजन करें. जिन सिक्कों को माँ लक्ष्मी स्वरूप थाली में रखा गया है उनकी पूजा शाम को प्रदोषकाल में की जा सकती है. विधि: गोवर्धन पूजन हेतु पूर्व के दिनों के पूजन के लिए जो पाट जैसा लगा है वैसा ही लगा रहने दे. जैसी थाली लगी हो वैसी लगी रहने दे. पूजन के लिए भगवान गोवर्धननाथ जी का नाम स्मरण करें माता लक्ष्मी का स्मरण करें. दो दीपक लगाए. दोनों दीपक घी के लगाएं. एक दीपक सीधे हाथ एवं एक दीपक उल्टे हाथ पर रखें. (दीपक अखंड नहीं होंगे.) जैसा पूजन पूर्व के दिनों में किया गया उसी तरह से आज भी पूजन करना है. आज के दिन एक कमल कट्टा, एक हल्दी की गाँठ, एक अमरबेल का टुकड़ा अर्पित करें. माता को भोग लगाएं. जो दो दीपक लगाए है उन दो दीपक से अत्यंत भाव से माता की सुन्दर आरती करें. झोली पसार कर विनती करें..फिर झोली अपनी ओर गिरा लेवें. माता लक्ष्मी सभी के भण्डार भरे. इसी भाव के साथ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏🙏
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