
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्राजी के अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत निकला तब राहू ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया. तुरंत तलवार से सर और धड़ अलग कर दिए. सिर राहू और धड़ केतु नाम से हुए. राहू भागते हुए शिवजी के पास आकर विनती करने लगा. राहू द्वारा ही सबसे पहले भोलेनाथ को धतुरा अर्पित किया गया. भोलेनाथ ने राहू को अपनी जटाओं में शरण दी. यह देख सभी चन्द्र, मंगल, बृहस्पति आदि ने भी विनती की जिससे सभी नौ ग्रहों को भोलेनाथ की जटाओं में स्थान प्राप्त हुआ. इसलिए प्रदोष के दिन प्रदोष काल में एक लोटा जल और एक धतुरा भोलेनाथ को अर्पित करें आपके नौ गृह शांत होकर आपके हित में कार्य करने लगेंगे. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
उपाय की विभिन्न श्रेणियां लोड हो रही है