
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
16 सोमवार व्रत अत्यंत पावन एवं मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है. इस व्रत को प्रारंभ करने के लिए अलग अलग माह बताए गए है. आप जिस कामना से व्रत करना चाहते है उसके अनुरूप सही माह का चयन कर व्रत प्रारम्भ कर सकते है. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार - 1. संतान प्राप्ति की अभिलाषा से यदि व्रत करना चाहते है तो इस हेतु श्रावण माह के पहले सोमवार से व्रत प्रारम्भ करना चाहिए. 2. कोई विशेष बीमारी हो, बहुत कष्ट प्रद जीवन चल रहा हो तो वैशाख माह के पहले सोमवार से व्रत प्रारम्भ करना चाहिए. 3. उत्तम वर, उत्तम घर, श्रेष्ठ पद, अच्छी नौकरी एवं व्यापार के भाव से यदि आप व्रत करना चाहते है तो मार्गशीर्ष माह के पहले सोमवार से व्रत प्रारम्भ करना चाहिए. व्रत का पूजन सोमवार दिन के तीसरे पहर (प्रदोषकाल) में किया जाता है. आप जिस मनोकामनापूर्ति के लिए व्रत कर रहे है उस भाव से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन अर्चना करें. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार जैसा प्रशाद तैयार करें चाहे आटा सेककर या चूरमा बना कर या जैसे भी आप तैयार करें. उस प्रशाद के तिन हिस्से करें. एक हिस्सा भोलेनाथ का रहता है. एक हिस्सा शिव भक्तों के लिए रहता है. एवं एक हिस्सा स्वयं को पाना होता है. यदि पूरा स्वयं ना ग्रहण कर सके तो अन्य भक्तों में बाट सकते है. उद्यापन के समय 16 जोड़ो को भोजन कराया जाता है. एक विशेष निवेदन: यदि आपके पड़ोस में, कालोनी में कहीं पर भी 16 सोमवार का उद्यापन हो आप उद्यापन के समय भोजन करने जाए या न जा पाए. लेकिन 16 सोमवार के उद्यापन का प्रसाद यदि मिल जाए तो दोनों हथेलियाँ फैला कर श्री शिवाय नमस्तुभ्यम, ॐ नमः शिवाय, नमः शिवाय का स्मरण करते हुए अपनी कामना करते हुए जिस भी बंधू के घर आयोजन हो उसके घर जाकर प्रशाद मांगकर उसके घर ही प्रशाद को ग्रहण कर के आए. आपको जीवन में सुख का अनुभव प्राप्त होगा. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
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