
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही शास्त्र सम्मत माना गया है. सही नियम से करने से कई फायदे होते है. अर्घ्य देते समय यदि कोई बच्चा गिरते हुए पानी में से सूर्य देव का दर्शन करता है, उसकी आँखों की रौशनी अच्छी होती है. जो जलधार आप गिरा रहे है, सूर्य की किरणे उस जल में से आपके शरीर पर जाए इससे आपके ह्रदय, किडनी एवं लीवर सम्बंधित गंभीर रोग भी दूर होते है. अर्घ्य देने के कुछ नियम भी होते है. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय जल का पात्र केवल और केवल ताम्बे का होना चाहिए किसी अन्य पात्र से अर्घ्य नहीं देना चाहिए. जल अर्पित (अर्घ्य) करते समय हाथ सिर से कम से कम 8 इंच ऊपर होना चाहिए. कुछ भक्तगण जल अर्पित करते समय एडी ऊँची कर, पंजो पर खड़े होकर जल अर्पित करते है. यह सही नहीं है. आपका पाँव पूरा जमीन पर होना चाहिए. कुछ भक्तों को शंका होती है कि जल अर्पित करते समय जो जल के छीटे पाँव पर गिरते है यह सही है या नहीं. गुरुदेव का स्पष्ट कहना है वे छीटे किसी तरह के दोष को जन्म नहीं देते बल्कि वे शरीर को शुद्ध ही करते है. प्रयास करे घर के प्रत्येक सदस्य सूर्य देव को अर्घ्य (जल अर्पित करें). श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हर हर महादेव
उपाय की विभिन्न श्रेणियां लोड हो रही है