
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्राजी जी द्वारा एक कथा में वर्णन करते हुए बताया कि - मार्कंडेय पुराण में में एक कथा आती है जिसके अनुसार सूर्य देव का कार्य है लगातार चलते रहना वे कभी विराम नहीं करते है. बस अनवरत चलते रहते है. एक बार सूर्य देव ने सोचा उनके रथ के घोड़े थक गए होंगे उन्हें पानी पिलाना चाहिए. एक कुंड के पास कुछ क्षण रुके एवं घोड़े पानी पिने लगे तभी उन्हें विचार आया उन्हें तो रुकना नहीं है, अनवरत चलते रहना चाहिए. चूँकि घोड़े पानी पी रहे थे, तो सूर्यदेव ने पास में घूम रहे गधे (खर) को रथ में लगाया और आगे बढ़ गए. जब तक घोड़ो ने पानी पिया वह एक माह का रहा. उस एक माह पश्चात घोड़े पुनः रथ में आए. एक माह जब तक खर(गधो) ने सूर्यदेव का रथ हाका, वह सम्पूर्ण माह खरमाह कहलाया. गुरुदेव के अनुसार खरमाह में शुभ कार्य विवाह आदि वर्जित माना जाता है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हर हर महादेव 🙏🙏🙏
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