
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताया गया है कि घर पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर उसका पूजन का बहुत महत्त्व होता है. जब आपका मन करें किसी भी दिन किसी भी समय आप घर पर पार्थिव शिवलिंग का पूजन अर्चन कर सकते है. पूजन हेतु कोई दिन, कोई तिथि, कोई वार कोई समय देखने की आवश्यकता नहीं है. शिवलिंग पूजन हेतु आप कोई भी मिटटी ले सकते है. नदी किनारे की मिटटी, सरोवर या तालाब की मिटटी या घर पर कोई गमला हो उसकी मिटटी भी पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिए ली जा सकती है. विशेष: पार्थिव शिवलिंग निर्माण के समय जिस थाली (बर्तन) में आप शिवलिंग निर्माण कर रहे है, निर्माण के पश्चात, उसी थाली से अपने हाथ पोछ कर हाथ से निकली मिटटी को शिवलिंग पर न लगाए. यह दोष होता है. जब शिवलिंग निर्माण हो जाए तब तिन अक्षत (अक्खे चावल) एक गणेश जी की जगह, एक अशोक सुंदरी की जगह, एक कार्तिकेय जी की जगह अर्पित करें तिन दूर्वा एक गणेश जी की जगह, एक अशोक सुंदरी की जगह, एक कार्तिकेय जी की जगह अर्पित करें तिन बेलपत्र जहां से जलधारी से जल बहाकर निचे की और जाता है, उसके ठीक विपरीत दिशा में माता पार्वती के हस्तकमल पर समर्पित करें. जिस और से आपने बेलपत्र समर्पित की है वहीँ बैठकर तिन लोटा जल धीरे धीरे अपने मन की कामना करते हुए अर्पित कर दीजिये. अपनी तकलीफ, अपनी पीड़ा बाबा से कहे, प्रार्थना करें बाबा हमारे मनोरथ पुरें करना. पश्चात जो भी आपके पास पूजन सामग्री हो उससे भगवान का पूजन कर के आरती करें. जब दीपक ठंडा हो जाए उस शिवलिंग का विसर्जन कर देवें. आप देखेंगे दो-तिन बार आप यह करेंगे स्वयं महसूस करेंगे आपका कार्य कैसे सिद्ध होने लगता है, धन संपदा में वृद्धि कैसे होने लगती है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हर हर महादेव 🙏🙏🙏 कृपया जानकारी सभी से शेयर करें
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