
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
*💐💐सन्तुष्टि💐💐* एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था। वहां रोज मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे एक दूसरे की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे। *रोज कोई बच्चा इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे...* *इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल जाते,* पर... केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए रोज गार्ड बनता था। *एक दिन मैंने देखा कि* ... उन बच्चों को खेलते हुए रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को पास बुलाकर पूछा.... *"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"* इस पर वो बच्चा बोला... *"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पीछे वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे... और मेरे पीछे कौन खड़ा रहेगा....?* *इसीलिए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हूँ।* *"ये बोलते समय मुझे उसकी आँखों में पानी दिखाई दिया।* *आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...* *अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेगी....* वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। परन्तु ऐसा न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा। *हम कितना रोते हैं?* कभी अपने *साँवले रंग* के लिए, कभी *छोटे क़द* के लिए, कभी पड़ौसी की *बडी कार,* कभी पड़ोसन के *गले का हार,* कभी अपने *कम मार्क्स,* कभी *अंग्रेज़ी,* कभी *पर्सनालिटी,* कभी *नौकरी की मार* तो कभी *धंदे में मार*... हमें इससे बाहर आना पड़ता है.... *ये जीवन है... इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।* *चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,* *वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,* *मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं।* *तुलना से बचें और खुश रहें । ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़..!!!मेरी अपनी हैं मंजिलें, मेरी अपनी दौड़..!!!* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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