
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा कथा में बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को महाशिवरात्रि का व्रत रखना चाहिए. अपने सामर्थ्य अनुसार निराहार, एक समय भोजन के अनुसार व्रत रख सकते है. वृद्ध, रोगी बच्चे व्रत करना चाहे तो यह आवश्यक नहीं है कि आप 24 घंटे निराहार रहे...आप चाहे तो 1 घंटे, या भले ही 5 के लिए भी व्रत के भाव से रह सकते है. बस ध्यान रखें इस दौरान व्रत का भाव रहे..भोलेनाथ से प्रार्थना करें इस समय को सम्पूर्ण व्रत के रूप में स्वीकार करें....मन में श्रद्धा, भक्ति के भाव रखें. व्रत के दौरान सभी व्रतियों को झूठ, इर्ष्या, काम, लोभ, लालच, अभद्र भाषा आदि से बचना चाहिए. व्रत केवल शरीर से नहीं बल्कि अंतरात्मा से भी किया जाना चाहिए. विशेष: किसी के घर में यदि पति, पत्नी, सास ससुर, पिता, माता, भाई, संतान या कोई भी व्रत करने से मना करें, तो व्रत न करें...परन्तु महाशिवरात्रि के दिन शिव निंदा न सुने. शिव के बारे में गलत शब्द न सुनें. पुरें दिन शिव भजनों, मंत्र जाप, शिव चर्चा के साथ व्यतीत करें... यह पावन महाशिवरात्रि आप सभी की मनोकामना पूरी करें...इसी भाव के साथ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
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