
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी बताते है यदि किसी महिला को विवाह के 10 वर्ष या 20 वर्ष भी हो गए हो या चाहे 30 वर्ष हो गए हो किन्तु संतान प्राप्त नहीं हुई हो या यदि किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी हो जिसमें डॉक्टर्स ने भी कह दिया हो इस बीमारी का कोई हल नहीं है..ऐसे में उन्हें यह उपाय एक बार अवश्य कर के देखना चाहिए. इसके अतिरिक्त यदि कोई मनोकामना पूर्ति के लिए करना चाहे या परिवार की खुशहाली या अन्य कोई कामना से करना चाहे वे भी यह सप्ततीर्थ अनुष्ठान कर सकते है यह उपाय सात दिन किया जाता है. इसमें ध्यान रखें अंतिम यानी सातवा दिन प्रदोष का हो. प्रतिदिन एक घड़ा जल का भरें. एक बेलपत्र एवं एक शमी पत्र किसी पात्र में उस घड़े के पास रखें. उस मिट्टी के घड़े को मिट्टी के ही किसी पात्र से (ढक्कन) से ढँक दीजिए. एक दिन एक शिवालय में जाएं शमी पत्र अशोक सुंदरी वाली जगह पर अर्पित करें. बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें (डंडी का मुंख स्वयं की ओर रखें) फिर शिवजी पर मिटटी के पात्र में रखा जल अर्पित करें. अर्पित किये जल का थोडा भाग किसी पात्र में, किसी कटोरी में झेलकर रख लेवें. यदि संतान की कामना है तो मंदिर में ही नंदी के पास बैठकर उस कटोरी के जल का आधा भाग आप ग्रहण कर लो आधा भाग घर ले जाकर अपने पति को देवें. किसी रोग या बीमारी के लिए यदि यह उपाय कर रहे है तो घर की देहली में प्रवेश करने से पहले उस जल को ग्रहण कर लेवें. कोई अन्य कामना से कर रहे है तो जल को नहीं लाना है बस अपने मन की कामना व्यक्त कर देवें. एक दिन में एक शिवालय करना है, दुस्र्रे दिन दूसरा शिवालय. यदि आपके गाँव, नगर क्षेत्र में सात शिव मंदिर न हो तो मिटटी के पार्थिंव शिवलिंग का निर्माण कर उन पर जल अर्पित करें परन्तु प्रत्येक दिन शिवलिंग अलग होना चाहिए. प्रदोष के दिन जब आप इस सप्त तीर्थ का विराम करेंगे उस समय पर प्रदोष के दिन प्रदोष काल में जल अर्पित करें अर्पित करते समय ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यम या नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. नोट: यह उपाय केवल वैशाख के माह में किया जाता है. इसे अन्य माह में नहीं किया जाता.
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