
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
भगवान को जब जल चढाने जाए तो साथ में अपने मन को भी लेकर जाना चाहिए. जल अर्पित करते समय, पूजन अर्चना, जल अर्पित करते समय अपना मन, बुद्धि, चित्त पूरी तरह शिव में होना चाहिए. अगर आप जल अर्पित कर रहे हो, मन वहां नहीं है तो शिव ऐसा पूजन स्वीकार नहीं करते.. आपका मन आपका भाव पूर्ण रूप से शिव में होना चाहिए. दो तरह की भूख होती है – तन की भूख और मन की भूख इन दोनों भूख को समाप्त नहीं किया जा सकता है. न तन की भूख समाप्त हो सकती है न मन की भूख समाप्त होती है. ऐसी स्थिति में तन को अपने कर्म में लगाए एवं मन को प्रभु भक्ति में लगाए जिससे दोनों भूख को शांत किया जा सकता है. आज के समय में कई बच्चे अपने माता पिता की नहीं सुनते. बच्चे सुनते नहीं है, बल्कि वह अपने माता पिता की नक़ल (कॉपी) करने का प्रयास करते है. माँ यदि मोबाइल चलाईगी, तो बच्चे मोबाइल चलाएंगे ही. पिता यदि विवाद कर रहे है तो बच्चे भी झगडालू होंगे. इसलिए प्रयास करे, पहले माता पिता परिवार स्वयं की आदत अच्छी रखे, ताकि बच्चे भी नक़ल कर अच्छा सीखे. सुबह जल अर्पित करने जाए तो घर के बच्चों को ले जाए. वे अपने माता पिता दादा दादी को देखकर ही सीखते है. मोबाइल को साइड में रखकर, कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डाले. ताकि आपको पढता देखकर बच्चे भी पढने में अपना मन लगाएंगे. एक बेटी वह होती है, जो अपने माता पिता को 94 नर्क से बचाते है. केवल एक कन्यादान के माध्यम से बेटी अपने माता पिता को इन तर्कों से बचाने में सक्षम होती है. बेटा तो केवल एक कुल को तारता है, बेटी दो कुलों को तारती है. भाग्य बताने वाले कई मिलेंगे परन्तु भाग्य बदलने वाला और भाग्य बनाने वाला केवल एक ही है – हमारा देवाधीदेव महादेव. किसी को झगडा करना हो, किसी से विवाद करना हो, किसी को अपशब्द कहना हो तो आज की जगह कल कहो, परन्तु यदि किसी का कुछ अच्छा करना हो, भला करना हो तो यह कार्य हमें कल की बजाय आज करना चाहिए शिव कैलाश में रहते है यह सही है, परन्तु यह भी सही है कि शिव विश्वास में रहते है. जब शिव मंदिर में जाए तो एक विश्वास से जाए की शिव आपकी पुकार सुनेगा. घर पर यदि श्री शिवाय नमस्तुभ्यम लिखा है तो विश्वास कर के रखिये की यह घर आपका नहीं महादेव का है. वह इस घर में कुछ गलत नहीं होने देगा. आज कलियुग में सबसे बड़ा दान समय का दान हो गया है. घर में बड़ी बड़ी गाडी आ गई, धन सम्पदा आ गई कुछ नहीं है तो बस समय. घर में परिवार में आपस में बात करने तक का समय नहीं है. आपसे में बात नहीं कर पा रहे, चर्चा नहीं कर पा रहे. अच्छे रिश्तों के लिए आवश्यक है कि रिश्तों में समय देते रहना चाहिए. कृपया अन्य से भी शेयर करें श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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