
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
एक ही नाम के दो व्यक्ति हो सकते है. उनका सरनेम भी एक जैसा हो सकता है. परन्तु फिर भी उनमें बहुत बड़ा अंतर होता है. यह अंतर उनकी रंगत, संगत और मेहनत से होता है. जिनके परिणाम स्वरूप उस व्यक्ति की पहचान औरो से अलग हो जाती है. आपकी पहचान बन जाती है. भगवान भोलेनाथ की कृपा से प्रयास करें दिन में एक बार थोड़ी देर के लिए अपने पति या अपनी पत्नी के साथ बैठकर शिव चर्चा अवश्य करें. शिव भक्ति प्रसंगों पर चर्चा करिए. कोई कथाओं के बारे में बात करें. प्रतिदिन संभव न हो तो सप्ताह में एकबार चर्चा करें. मकान मिले न मिले, पता मिलना चाहिए शिव मिले न मिले, शिव का धाम मिलना चाहिए शिव को पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उसकी कथा, उसका नाम महत्पूर्ण होता है. कथा श्रवण करते हुए, नाम स्मरण करते हुए ही एक दिन शबरी को राम मिले थे. शिव को पाने के लिए भी यही एक सुन्दर माध्यम है. लंकाधिपति पुष्पक विमान से गुजर रहा था, सभी जगह से निकल गया परन्तु कैलाश पर्वत से गुजर नहीं पा रहा था. नंदी वहीं बैठे थे उन्होंने का हे रावण यहाँ से इस तरह नहीं निकल पाओगे. वह नहीं माना और पुष्पक विमान टूटकर वहीँ निचे गिर जाता है. यहाँ तक कि आज भी कैलाश के ऊपर से कोई विमान नहीं गुजरता. गुरुदेव कहते है शिव विनम्रता एवं भाव देखते है. जब भी मंदिर जाओ अपने बड़े वाहन से ही क्यों न जाऊ परन्तु मंदिर से कुछ दूर खड़ा कर पैदल जाओ. विनम्रता पूर्वक प्रेम से शिव का नाम लेकर पैदल शिव मंदिर तक जाए. जितनी विनम्रता, जितनी सहजता आपमें होगी, शिव उतने नजदीक आते चले जाएंगे. वक्त अच्छा नहीं चल रहा है तो अपनी मेहनत को बढाते चले जाओ..मेह्नत कर अपनी मंजिल को पाने का प्रयास करते जाओ. यदि परमात्मा की कृपा से समय अच्छा चल रहा है, जीवन में आनंद है तो प्रयास करें जो कोई परेशानी में, कठिनाइयों में उसकी मदद करें, उसका सहयोग करें. ईश्वर और औषधि दोनों एक सामान होते है, औषधि तन के रोग को दूर करती है. ईश्वर का नाम मन के रोग जैसे संशय, भय आदि स्थिति से उबारता है. अगर दिल से भोलेनाथ को एक लोटा जल चढ़ाया है, कहीं एकांत में कभी बैठकर शिव को स्मरण किया है तो वह बाबा भोलेनाथ कैलाश छोड़कर, काशी छोड़कर आपके लिए जरुर आएगा. एक मक्खी यदि दूध पर या शकर के दाने पर बैठ जाती है तो कोई कीमत नहीं होती है. जबकि कोई सुनार कोई जेवर का वजन तौल रहा हो और वहां सोने पर बैठ जाए तो वह बहुत कीमत बढ़ा देती है. आपकी सांगत बहुत महत्वपूर्ण है. आप कहाँ बैठे है इससे आपका मान सम्मान, गुण अवगुण तय होंते है. चार चोर चोरी करने जा रहे थे, संत तुकाराम जी ने देखा, उन्हें लगा चार लोग बेचारे अकेले काम करने जा रहे है. सोचा इतनी रात को परेशान होंगे. इनकी सहायता के लिए मैं भी चलता हूँ. चोरों ने देखा कोई साथ में आ रहा है, सोचते है चलो इसे भी साथ में ले लेते है. वे संत तुकारामजी को साथ में लेकर जाते है. तुकाराम जी को बाहर खड़ा कर देते है. चोर अन्दर चोरी में व्यस्त हो जाते है. बहुत देर तक वापिस नहीं आते है तो तुकाराम जी स्वयं अन्दर चले जाते है देखने की क्या बात है. अन्दर जाकर देखा की सामने गोविन्द की मूर्ति है. वे अपने पास से करताल, मंजीरा निकालते है और भजन करने लगते है. यह देखे चारों चोर घर में ही छिप जाते है. सेठ की नींद खुली आया देखा संत तुकारामजी आज उनके घर. बहुत प्रसन्न हुआ प्रणाम किया, चरण वंदना की. पूछा आप अकेले आये है संत तुकाराम जी कहने लगे नहीं चार लोग ओर है. वे चारों चोर वापिस बाहर निकल आए. सेठ जी ने उन चारों चोरो का भी सम्मान किया. वहां से बाहर निकल कर चारों चोरो ने संत तुकाराम जी के चरण पकड़ लिए एवं कहा आज आपके के कारण हमें यह सम्मान मिला है. अतः सांगत महत्वपूर्ण होती है. संगत आपको सम्मानित करवा सकती है. संगत आपको अपमानित करवा सकती है. अक अच्छी सांगत आपका भविष्य बदल सकती है. आपका भविष्य बना सकती है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏
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