
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
आज की कथा माता पार्वती के जन्म प्रसंग पर आधारित रही. जिस तरह से पत्थर के अन्दर भी एक चिंगारी रहती है. उसी तरह जन्म से लेकर मृत्यु तक भोलेनाथ हमारे अन्दर ही रहता है..बस हमें प्रयास करना हैं उस शक्ति तक पहुचने का. कथा में आना सरल है, कथा में बैठना सरल है, परन्तु शिव महापुराण कथा में मन लगाना कठिन होता है. और एक बार जब शिव महापुराण कथा में मन लगने लगता है, वैसे वैसे शिव को पाना आसान होने लगता है. शिवमहापुराण की कथा का सबसे बड़ा प्रसाद यही है कि आप कथा में जो श्रवण कर रहे है, वह औरो से बाटते हुए रहे. प्रभु का नाम स्मरण करते रहे एवं अन्य को भी प्रेरित करते रहे. जो श्री शिवाय नमस्तुभ्यम कहता है, घर के दरवाजे पर यदि लिखा है, गाडी पर लिखा है, अपने हाथ से यदि शिव सेवा कर रहे है, चरणों से शिव मंदिर जा रहे है तो तय है आप शिव को आत्मसात कर जी रहे है. हे महादेव ! हमें दुनियां का सहारा मत देना, बस हमारा हाथ ऐसा थाम लेना महादेव, कि हम दुनियां का सहारा बन सकें आज भोलेनाथ को हम मंदिरों में ढूंढते है, तो कहीं तीर्थों में ढूंढते हैं. यदि हम अपने मन में झाँक कर देखेंगे तो शिव हमें हमारे मन में भी मिलेगा. केवल दरवाजे पर शुभ लाभ लिखना पर्याप्त नहीं है. दूसरों के लिए शुभ विचार मन में लाने लगे तो स्वतः लाभ होने लगेगा. 🙏🙏🙏
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