
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा कथा में गाया गया सुन्दर भजन गौरा ढूंढ रही पर्वत पे शिव को पति बनाने को भजन लिरिक्स. पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा गया गया सुन्दर भजन गौरा ढूंढ रही पर्वत पे शिव को पति बनाने को आपके लिए लिखित रूप में उपलब्ध कराया गया है - (यह भजन लिरिक्स https://gkcmp.in पर भी उपलब्ध है) **गौरा ढूंढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को, पति बनाने को, भोले को, पति बनाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **ना चाहिए मुझे माथे का टीका, मांग सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **ना चाहिए मुझे सोने की नथनी, नाक सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **ना चाहिए मुझे गले का हारवा, गला सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** (यह भजन लिरिक्स https://gkcmp.in पर भी उपलब्ध है) **ना चाहिए मुझे सोने का कंगना, हाथ सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **ना चाहिए मुझे रेशम की साड़ी, तन पे सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **ना चाहिए मुझे सोने की करधनी, कमर सजाने को, हमें तो चाहिए भोला तेरी माला, हरी गुण गाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।** **गौरा ढूंढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को, पति बनाने को, भोले को, पति बनाने को, गौरा ढूंढ रही पर्वत पे, शिव को पति बनाने को।**
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