
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
मकान बनाने के लिए मिस्त्री की जरुरत होती है, और एक घर बनाने के लिए स्त्री की जरुरत होती है. मिस्त्री अगर गलत हो तो छत पर पानी भरा रहेगा, या छत से पानी निचे गिरने लगेगा. यदि स्त्री गलत हो तो मकान कभी घर नहीं बन पाता. वहां रहने वाले सभी हमेशा परेशान रहते है. इसलिए मिस्त्री अच्छा तो मकान अच्छा, और स्त्री अच्छी तो घर अच्छा बनता है. चातुर्मास का नियम बनाओं, यदि ज्यादा कुछ न बन पड़े तो चार पौधे बेलपत्र के अवश्य लगाएं. यदि आपके वंश में कोई पूजा न कर पाए, शिव भक्ति न कर पाए तो कम से कम आपके द्वारा लगाए गए वृक्ष से बेलपत्र तोड़कर लोग शिव को अर्पित करते रहे, जिससे आपके वंश का भी उद्धार हो सके. सम्पूर्ण चातुर्मास के अन्दर प्रयास करें कम से कम चार पौधे बेलपत्र के लगाए एवं उन पौधों की जिम्मेदारी ले, उन्हें पानी देने की, उनकी पशुओं से रक्षा करने की ताकि वह अच्छे से वृक्ष भी बन पाए. जमीन पर भी गिरी हुई कोई बेलपत्र दिख जाए तो उसे उठाकर कहीं साइड में रख देवें. बेलपत्र में स्वयं परमात्मा निवास करते है. भारतीय सनातन धर्म की यही खूबसूरती है. हमारे यहाँ वृक्ष, नदी, हवा, जल, आकाश, पाषाण सही की पूजा होती है. हाथ की लकीरे भले ही आपके हाथ की मुट्ठी में बंद कर लो, परन्तु उन लकीरों के काबू में नहीं कर सकते. उन लकीरों को काबू में करने का, उन्हें बदलने का उपाय मात्र एक महादेव है. हमारे शिव है जो लकीरों को भी बदल सकते है. शिव को पुकारने के लिए कोई दिशा या समय की जरुरत नहीं होती. जब मन हो, तब कहीं भी बैठकर सच्चे भाव से, प्रेम भाव से पुरे मन से शिव को पुकारते है, तो वह सुनता है एवं हमारे कष्ट हरता है. शिव का कोई वार नहीं होता है. हर वार महादेव का वार होता है. प्रतिदिन शिव की उपासना करना चाहिए, हर पल शिव का स्मरण करना चाहिए. जब हम अपनी मेहनत, अपना परिश्रम चार गुना बढाते है, तो अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करते है. यदि हम अपनी सुख सुविधा का ही ध्यान रखेंगे, केवल हाथों की लकीरों के भरोसे रहेंगे या सोचते रहेंगे, कि हमारे गृह खराब है, कार्य ही नहीं करेंगे तो हमें कभी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा. अपने कर्म पर विश्वास, अपने महादेव पर विश्वास कर कार्य करते रहे, सफलता अवश्य मिलेगी. झूठ बोलने के कारण केतकी के पुष्प को श्राप मिलता है, जिसके कारण केतकी का पुष्प शिवजी पर नहीं चढ़ाया जाता है. साथ ही गाय को भी झूठ बोलने के कारण श्राप मिला की चूँकि तुमने अपने मुंख से झूट बोला है, इसलिए तुम्हारे मुख की कभी पूजा नहीं होगी. आज भी जब कोई वस्त्र दान हो, कन्या दान हो, अन्न दान हो या कोई भी दान हो वह आगे से किया जाता है. एक गौ दान होता है जो कि पूंछ पकड़ कर किया जाता है. साथ ही गाय की परिक्रमा भी पीछे से शुरू कर के पीछे ही समाप्त की जाती है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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