
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बेलपत्र को वृक्ष से तोड़ने के नियम बताए गए है. बेलपत्र को कैसे तोडना चाहिए. बेलपत्र किस दिन नहीं तोडना चाहिए आदि. बेलपत्र के पत्र(पत्ते) वृक्ष से तोड़ने का नियम होता है. जब बेलपत्र के पत्र को वृक्ष से तोड़ते है तो तोड़ते समय ॐ नमः शिवाय का जाप किया जाता है. उस पत्र को यह मंत्र दिया जाता है. और बेलपत्र के पत्ते के निचले हिस्से पर जो गुठी (गाँठ जैसा होता है) उसे भी जब तोड़कर अलग किया हाता है तो मंत्र दिया हाता है ॐ नमः शिवाय | गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी बताते है कि बेलपत्र को तोड़ने से पहले ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप किया जाता है, एवं तोड़ने के बाद पत्र को हाथ में लेकर निवेदन किया जाता है - हे माँ पार्वती, हे माँ गौरा, चलिए! आपको शंकर जी ने याद किया है, मेरे ऊपर बहुत परेशानी है, चलिए माँ, चल कर मेरी परेशानी दूर करिए माँ, मेरे भण्डार भरने के लिए शिवजी ने आपको याद किया है. इस तरह निमंत्रण दिया जाता है. इसके उपरान्त यदि गुठी है तो उसको तोड़ते समय मंत्र दिया जाता है ॐ नमः शिवाय. बेलपत्र के वृक्ष से एक एक कर बेलपत्र तोडना चाहिए. कई माता बहने बेलपत्र के वृक्ष से सीधे पूरी डाल, एक लम्बी डाली तोड़ लाती है, घर पर एक एक बेलपत्र निकाल कर उस डंडी को फेंक देती है. यह गलत तरीका है. वृक्ष से बेलपत्र को एक एक कर के तोडना चाहिए. इसके अतिरिक्त पूर्व में भी गुरुदेव द्वारा बताया गया है कि जिस दिन आपका व्रत रहे उस दिन बेलपत्र नहीं तोडना चाहिये, जैसे सोमवार, पशुपतिनाथ व्रत, या और कोई दिन जब आप शिव का व्रत कर रहे हो उस दिन बेलपत्र नहीं तोडना चाहिए. ना ही किसी को कह कर तुडवाना चाहिए. आप एक दिन पूर्व बेलपत्र तोड़कर पूजन के लिए रख सकते है. गुरुदेव कहते है जिस दिन आप व्रत करते है उस दिन बेलपत्र का वृक्ष आपके व्रत की सफलता के लिए स्वयं भी व्रत रखता है. 🌳🌳🌳 श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏 कृपया जानकारी अन्य भक्तों से भी शेयर करिए
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