
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
जैसे किसी किसी आभूषण का श्रृंगार ऐसा होता है, जो व्यक्ति के सौंदर्य को और बढ़ा देता है. इसी तरह तिन तरह गहने होते है, इन तिन गहनों को जिसने अपने जीवन में उतार लिया,अपने शरीर से जोड़ कर रखा, उसे कभी भटकना नहीं पड़ता. इन गहनों के प्रभाव से मानव अपने आप को सर्वोच्च शिखर तक ले जाता है. जीवन में सफलता पाकर ही रहता है. 1. विश्वास: जीवन में स्वयं पर विश्वास होना चाहिए, कि एक दिन मैं अवश्य सफल होकर रहूँगा. यही विश्वास महादेव पर भी होना चाहिए. क्योंकि यदि कोई कार्य हमारे लिए दुर्लभ भी होगा तो शिव पर किये विश्वास से वह भी संभव हो पाएगा. 2. मेहनत: यदि आप पूर्ण भाव से लगन से मेहनत कर रहे हो, तो आपको आपके हक़ की सफलता अवश्य मिलती है. 3. सब्र: विश्वास एवं मेहनत के उपरान्त एक गहना होता है सब्र. कभी कभी विश्वास कर के, मेहनत करने से भी सफलता नहीं मिलती. ऐसी स्थिति में थोड़ा सब्र, थोडा इन्तजार करना चाहिये. पुनः विश्वास एवं मेहनत से प्रयास करना चाहिए. सब्र का फल मीठा प्राप्त होता है. इन्तजार, सब्र में भी बड़ा आनंद होता है. यदि कोई भी वस्तु आसानी से प्राप्त हो जाए तो न तो उसमें आनंद आता है न ही उसे हम महत्व देते है. रेलवे स्टेशन पर यदि कोई ट्रेन आसानी से मिल जाती है तो महसूस नहीं होता, परन्तु यदि ट्रेन थोड़ी लेट आती है तो उसके आने के उपरान्त आपको सुकून होता है कि चलो ट्रेन आ गई है. एक व्यक्ति कुआ खोदने लगता है. 25 फिट खोदने के पश्चात सोचता है यहाँ पानी नहीं मिलेगा, वह दूसरी जगह फिर खोदता है 50 फिट खोदने के बाद वहां भी उसे लगता है यहाँ भी पानी नहीं मिलेगा. वह फिर तीसरी जगह खोदने लगा अब की बार 75 फिट खोदा फिर सोचने लगा यहाँ भी पानी नहीं मिलेगा, इस तरह वह और दूसरी जगह खोदने लगा. जब वहीँ एक दूसरा व्यक्ति एक ही जगह पर लम्बी मेहनत करता रहा और 100 फिट खोदने पर उसे पानी प्राप्त होता है. केवल शिव को भजते रहो, मगन हो कर भजते रहो शिव अवश्य प्राप्त होता है. कोई व्यक्ति देखता है किसी की किराना दूकान चल रही है, मैं भी किराना दूकान खोल लेता हूँ. नहीं चलती तो दुसरे को देख कर कोई ओर दूकान खोल लेता है. वह भी नहीं चलती है तो और दूसरी दूकान खोल लेता है. अंत में इधर उधर भटकता है, पूछता है मैंने इतने व्यवसाय किये पर कोई भी चल क्यों नहीं रहा है. वह पितृ दोष, वास्तु दोष में पड़ जाता है. परन्तु खुद के अन्दर का दोष नहीं जान पाता. यदि वह एक ही व्यवसाय को मन लगाकर, पूरी मेहनत से, पूरा दिमाग लगाकर करता, तो पहला व्यवसाय ही अंत तक चलता. व्यवसाय बदलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. अपने विश्वास को अडिग रखो, अपनी मेहनत को अडिग रखो, थोड़ा सब्र करो, थोडा इन्तजार करो. आज नहीं तो कल समय थोड़ा लग रहा है, परन्तु सफलता मिलेगी. रिश्तों में भी आज कोई इन्तजार नहीं करता, थोड़ा सब्र नहीं करता. भाई ने कुछ कहा तो छोटा भाई भी पलटकर जवाब दे देता है, थोड़ा भी इन्जार नहीं करता. पति ने कुछ कहा तो पत्नी बिना इन्तजार किये जवाब दे देती है. यदि बाप बेटे, भाई बहन सभी के बिच होने लगा है. थोड़ा सा सब्र कर लेवे, तो आपका गुस्सा आसानी से ठंडा हो जाएगा, आपको अपनी गलती महसूस होगी, एवं शान्ति से एक दुसरे की बात सुनने का प्रयास करेंगे. हमें परमात्मा ने सिर दिया है, एवं उस सिर के अन्दर दिमाग भी दिया है, जबकि एक माचिस की तीली होती है, उसमें सिर तो होता है परन्तु दिमाग नहीं होता इसलिए उसका जैसे ही घर्षण होता है वह तुरंत जल जाती है. हममे दिमाग होता है, परन्तु उपयोग नहीं करते है, इसीलिए जैसे ही किसी ने कुछ कहा, अपशब्द कहें तुरंत क्रोधित होकर विवाद करने लगेगें. जिसमें दिमाग होगा वह क्रोध नहीं करेगा, एवं जिसमें दिमाग नहीं होगा वह तुरंत माचिस की तीली की तरह जल जाएगा. कोई ताने भी कहें, कोई अपशब्द भी कहे थोड़ा धैर्य रख कर जवाब देना चाहिए. शिवमहापुराण के रूद्रसंहिता में एवं कुर्मपुराण के 26 वे अध्याय में स्वयं शिव ब्रहम देव से कहते है, हे ब्रहम देव, मेरे किसी भक्त का कोई सपने में भी गलत करने का सोचता है तो, वह अपनी पूरी जिन्दगी को बर्बाद कर बैठता है. यदि आप शिव भक्ति में डूबे हुए हो, शिव भक्ति का रसपान कर रहे हो, शिव पूजन करते हो, शिव स्मरण में डूबे हुए हो ऐसे में कोई यदि ऐसे व्यक्ति का बुरा करता है या बुरा करने की सोचता भी है, उसके बारे में कुछ बुरा लिखता है तो उस व्यक्ति के घर में कोई न कोई रोग ग्रस्त रहेगा. उसके घर में परेशानियां चलती ही रहेंगी. मेरे भक्त के बारे में कोई स्वपन में भी बुरा करने का सोचता है, तो उसने अपने पुरे परिवार को डुबोने का सोच लिया है. उसका परिवार भी कभी सुखी नहीं रहता. तन मन एवं धन से वह परेशान ही रहता है. इसलिए कभी शिव भक्त की कभी निंदा मत करिए. नारद जी ने विष्णु जी से शिव की निंदा की थी तो उन्हें बन्दर का मुख लग गया था. विष्णु जी ने निंदा सुनी थी तो उन्हें घोड़े का मुंह लगा था. इसलिए कभी शिव की निंदा, शिव भक्त की निंदा नहीं करना चाहिए. कुछ लोगो की आदत होती है, जीवन में अवसर की प्रतीक्षा करते रहते है. यह अच्छे कपडे है इन्हें अभी नहीं बाद में पहनूंगा. कुछ लोग हवाई जहाज से यात्रा कर रहे थे, कुछ ही देर में काल के गार में समां गए. कुछ लोग काश्मीर में घुमने के लिए गए. वह उनकी अंतिम यात्रा रही. इसलिए जीवन में प्रत्येक पल को एक अवसर मान कर जीना चाहिए. और इस प्रत्येक पल में शिव को अपनी जिन्दगी मानकर, शिव पर भरोसा कर, अपनी मेहनत एवं कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए. कथा के दौरान गुरुदेव ने बेलपत्र के वृक्ष से बेलपत्र को तोड़ने के नियम के बारे में विस्तार से बताया यह जानकारी उपाय खंड में उपलब्ध है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏 हर हर महादेव 🙏🙏
उपाय की विभिन्न श्रेणियां लोड हो रही है