
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
शिव कृपा में शिव भक्ति में सम्मिलित होना अनायास नहीं होता. यदि कहीं से जानकारी मिले, शिवकथा का, शिव भजन का, या शिव भक्ति से सम्बंधित कोई भी आयोजन का, तो समझना आज शिव में हमें याद किया है. जैसे शिव जहां रहते है- कैलाश. कैलाश शांत होता है, शीतल होता है. उसी तरह जब हमारा मन शांत रहेगा, शीतल रहेगा, तो शिव स्वमेव हमारे मन में उतरते चले जाएंगे. शिव की उपासना करने वाला, शिव का नाम स्मरण करने वाला, कभी घबराता नहीं है. वह अपने शिव पर विश्वास कर कार्य करता है. जो महाकाल के पट्ठे होते है, वो सब इकट्ठे होते है. वो भटकते नहीं है. एकत्रित होकर जो भी मुसीबत आई हुई होती है. आज सभी कहते है, हिन्दू राष्ट्र बनाना है. हिन्दू राष्ट्र केवल बोलने से नहीं बनेगा. हिन्दू राष्ट्र बनाना है, तो हमें तय करना होगा, यदि किसी एक हिन्दू पर आंच आए, मुसीबत आए तो सभी एक जुट होकर मुसीबत का सामना करना चाहिए. आज हम सभी जातियों में बटे रहते है. बटने के कारण सनातन कमजोर होता है. एक रित निकल चली है, जब किसी का काम होता है तब लोग पूछते है, लोग बात करते है. कोई काम होतो हाथ जोड़ते है. यह दुनिया मतलबी है. जरुरत पड़ने पर ही संपर्क करेंगे, फोन लगाएंगे. परन्तु एक बात पर विचार करना चाहिए, स्वेटर की जरुरत ठण्ड में पड़ती है. बैंक में रखे पैसे की जरुरत तब होती है, जब कोई विशेष कार्य हो. तो यदि कोई आपको उसका काम निकालने के लिए भी याद करता है तो यह सोचना चाहिए आप वह अमूल्य धन है, जिसकी मदद से महत्वपूर्ण संपन्न हो सकता है. जब तक हम एक दुसरे के प्रति शुद्ध भाव नहीं रखेगे, तब तक राष्ट्र कैसे मजबूत हो सकता है. आजकल नफरत का दौर चल निकला है, मठाधीश से मठाधीश, कथा वाचक से कथावाचक, भाई से भाई इर्ष्या, विवाद करने लगे है. हमें बेलपत्र के वृक्ष से सिख मिलती है आपको बेलपत्र के वृक्ष से क्या चाहिए, आपको फल चाहिए, फुल चाहिए, बेलपत्र चाहिए या इस वृक्ष में से आपको काटें चाहिए. अब जिस व्यक्ति को बेलपत्र की आवश्यकता थी उसने बेलपत्र लिया, जिसे बेलफल की आवश्यकता थी उसने बेलफल ले लिया. जिसको जैसे जरुरत रहती है, वह वैसा ले लेता है. इसी तरह यह संसार सागर है, जिसमें बेलपत्र, बेलफल या काटों की तरह हर तरह के लोग एवं हर तरह का ज्ञान उपलब्ध है. अब यह हम पर निर्भर करता है, कि हम संसार से क्या प्राप्त करना चाहते है. हम क्या ग्रहण कर रहे है. हमारे पास जो होता है, हम वह संसार को देते है. जैसे एक भिकारी यदि आता है तो जो हमारे पर्स में होता है हम वह देते है. इसी तरह यदि हमारे मन में करुणा भाव है, प्रेम भाव है तो हम वह दुनिया को देते है, यदि इर्ष्या, द्वेष है तो हम वह संसार को देंगे. एक व्यक्ति रोज मंदिर में आता है, वह रोज खोटा सिक्का मंदिर में चढ़ाता है. शिष्य ने अपने गुरूजी से पूछा गुरूजी एक व्यक्ति आता है, वह रोज खोटा सिक्का चढ़ाता है, वह यह भी नहीं सोचता कि यह तो खोटा सिक्का है, यह नहीं चल सकता है. आज में उसको मना करूँगा, रोक दूंगा कि वह मंदिर में यह खोटा सिक्का न चढ़ाएं. गुरूजी ने कहा नहीं उसे मत रोकना, यदि वह खोटा सिक्का चढ़ाता है तो चढाने दो. क्योंकि जो कहीं नहीं चलता है वह शिव के पास चलता है. यदि कोई खोटा भी है तो शिव के पास आकर वह भी चलने लगता है. यही शिव की करुणा है. गुरुदेव बच्चों से कहते है, 1 जुलाई से शिक्षा का नया सत्र प्रारम्भ हो रहा है. आप अपने भीतर विश्वास प्रबल रखना, प्रतिदिन शिव पर एक लोटा जल अर्पित कर मेहतन करते चले जाना. शिव की भक्ति अन्दर से शक्ति प्रदान करती है. इसी शक्ति एवं आप अपनी मेहनत के बल पर सफलता प्राप्त करते चले जाएंगे. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी का कहना है कि कावड़ तिन लोगो ने नहीं भरना चाहिए रोगी गर्भवती स्त्री रजस्वलानारी. कावड़ से अर्पित किए जल को वापिस लेकर घर आएं. यह जल किसी रोगी एवं घर के लिए उपयोगी होता है. यदि कोई रोगी है, उस व्यक्ति के ह्रदय, शीश, नाभि, कर्ण, और कंठ (गला) पर दो बूंद लगाए 15 से 20 दिन उस रोगी व्यक्ति को लाभ होने लगेगा. कावड़ का चढ़ाया जल घर लाकर, घर के आँगन, दहलीज पर सिंचन (छींटा) किया जाता है. आप चाहे तो रोगी या, गर्भवती स्त्री का स्पर्श कराकर आप कावड़ ले जा सकते है. कावड़ की यात्रा के दौरान व्यर्थ की बातों को न करते हुए, शिव भक्ति की बातें करना चाहिए. बोल बम, या शिव नाम श्री शिवाय नमस्तुभ्यम, ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए चलना चाहिए. गुरुदेव बताते है श्रावण के महीने में जितना शिव नाम का स्मरण करें, करना चाहिए. जब भी अवसर मिले शिव नाम, शिव मंत्र का स्मरण करते रहे. सभी के लिए श्रावण में विशेष ध्यान देने योग्य बात है. श्रावण के सोमवार में मंदिर जा सकों तो मंदिर जाओ, न जा सकों तो शिखर दर्शन ही कर लेवें. या घर में ही शिव को जल अर्पित करें. जल अर्पित करते समय तिन बार थोड़ा थोड़ा कर के जल अर्पित करना चाहिए. श्रावण में जैसा कि आप जानते है दो लोटे जल अर्पित करते है तो सोमवार के दिन दो लोटे जल को थोडा थोडा करके तिन बार में अर्पित करना चाहिए. यह सोमवार को करना चाहिए. यह अर्पित किया जल ब्रह्मा विष्णु महेश तीनो द्वारा जल को स्वीकार कर आपके भण्डार भरते है. आपको तिन लोक का राज प्रदान करते है. आजकल सनातन को अलग अलग समाज में तोड़कर प्रेम ख़त्म किया जा रहा है. अंग्रेज जब भारत आए तब यहाँ शासन करने के लिए सेना लेकर नहीं आए. एक अंग्रेज जब भारत आया उसने देखा कोई पशु किसी खेत में घुस कर फसल ख़राब कर रहा है, उसने दुसरे खेत वाले से कहा की वह पशु खेत को खराब कर रहा है, वह खेत वाला कहने लगा मुझे क्या वह मेरा खेत नहीं है. बस यही बात समझकर अंग्रेज अपने साथ सेना नहीं लाए, हमें ही आपस में एक दुसरे के खिलाफ उपयोग करते रहे और हम पर शासन करते रहे. यदि हम आपस में समाज के नाम पर लड़ते रहेगें तो हमारे सनातन को विधर्मी लोग कमजोर करते रहेंगे. देवरानी के बच्चे को जेठानी डांट दे तो समझना परिवार में एकता है. परिवार का अर्थ है परवाह करने वाले व्यक्ति. यदि परिवार के किसी एक व्यक्ति पर कोई तकलीफ आए तो पुरे परिवार ने परेशान होना चाहिए. किसी एक सदस्य के साथ खुशखबरी आती है तो पुरे परिवार ने प्रसन्न होकर आनंद के साथ उस ख़ुशी को मनाना चाहिए. जीवन में जब दुःख आता है, उस दुःख आने से पहले भोलेनाथ उस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करता है. माँ बच्चे को जन्म देती है, तो जब माँ बच्चे को जन्म देती है उसके पहले ही परमात्मा माँ के स्तन में दूध दे देता है. जब वह बच्चा आएगा तो भोजन कैसे करेगा. सबका पालन हार शिव समय से पूर्व सभी की कुछ न कुछ व्यवस्था अवश्य कर देता है. कैसा भी कष्ट हो, तकलीफ हो उसका सामना करने का बल महादेव दे ही देता है. मंथन में निकला विष शिव जी को प्राप्त हुआ. शिव ने विष पिया देखते ही देखते शिव जी का गला नीला होगया . शिव जी का नाम नीलकंठ हुआ. नंदी दौड़ते दौड़ते विष्णु जी के पास गए पूछने लगे यह क्या है? वे कहने लगे शिव ने विष पिया हैजो मंथन से प्राप्त हुआ था. नंदी ने पूछा मंथन में तो अमृत भी निकला था? विष्णु जी ने कहा घर में जो बड़ा होता है, विष उसी के हिस्से आता है. उक्त प्रसंग के माध्यम से गुरुदेव बताते है कि जो बड़ा होता है, थोड़ी सी भी प्रसिद्धि पा लेता है, यह संसार उस के पीछे पड़ जाता है. जैसे ही आपकी प्रतिष्ठा बढ़ने लगती है, आपकी आलोचना होने लगती है. आप पर मिथ्या आरोप भी लगने लगते है. सब जगह धक्के खा चुके हो, किसी जगह आपका काम नहीं बन रहा हो, सभी जगह से निराश हो रहे हो तो, तो एक बार कुबेरेश्वर धाम, सीहोर आकर जरुर देखें. एवं जब बाबा कुबेरभंडारी की कृपा प्राप्त हो तब आना बंद मत करो, प्रयास करों, माह में एक बार, वर्ष में एक बार बाबा की सेवा में जरुर जाना चाहिए. इस तरह गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की सात दिवसीय बेलपत्र श्री शिवमहापुराण कथा का आज सातवे दिन बेलापुर, संभाजी नगर, महाराष्ट्र में समापन होता है. आपसे निवेदन है यह सम्पूर्ण जानकारी अन्य से भी शेयर करें. प्रतिदिन कथासार के रूप में कथा में व्यक्त किये गए विचार एवं जानकारी आप तक पहुचाई. इसमें कुछ त्रुटी हुई हो तो www.gkcmp.in एवं Gurudev Pandit Pradeep Mishra App ह्रदय से क्षमा प्रार्थी है. गुरुपूर्णिमा महोत्सव 5 जुलाई से 10 जुलाई 2025 तक गुरुपूर्णिमा महोत्सव, कुबेरेश्वर धाम महोत्सव सीहोर में रहेगा. जिसमें प्रथम पांच दिन 5 जुलाई से 9 जुलाई 2025 तक शिव महापुराण कथा रहेगी. एवं अंतिम दिन 10 तारीख को गुरुपूर्णिमा विशेष कार्यक्रम रहेगा. पुनः गुरुदेव की आगामी शिव महापुराण कथा में हमें आपकी सेवा का अवसर प्राप्त होगा. उम्मीद एवं विश्वास है हम सभी पर शिव का आशीर्वाद एवं करुणा बनी रहेगी. बाबा कुबेर भंडारी सब के भण्डार भरें. सब की झोली भरें. “तू अपना एक लोटा जल बरकरार रखना, वो तेरा जलवा बरकरार रखेगा” इसी भाव के साथ.... हर हर महादेव 🙏🙏 श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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