
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा शिवमहापुराण कथा में गाया गया एक सुन्दर भजन "कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे, नाव मेरी चल रही किनारे किनारे". यह भजन आपके लिए लिखित रूप में लिरिक्स के रूप में उपलब्ध कराया गया है. आप इस भजन का PDF Download भी कर सकते हैं Bhajan - Kagaz ki nav bani shiv ji sahare, nav meri chal rahi kinare kinare कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे नाव में म्हारा ससरा जी बैठ्या ससरा जी बैठ्या म्हारा पिताजी बैठ्या सासु जी बैठगई शिव के सहारे, माता जी बैठ गई शिव के सहारें नाव मेरी चल रही किनारे किनारें कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे नावं में म्हारा गुरूजी बैठ्या गुरुजी बैठ्या म्हारा शिवजी बैठ्या गुरुमाँ बैठ गई शिव के सहारें नाव मेरी चल रही किनारे किनारें कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे नाव में म्हारा देवर जी बैठ्या, देवर जी बैठ्या म्ह्रारा देवर जी बैठ्या देवरानी बैठ गई शिव के सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे नाव में म्हारा पडोसी बैठ्या पड़ोसन बैठगई शिव के सहारें नाव मेरी चल रही किनारे किनारे कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे कागज़ की नाव बनी शिव जी सहारे नाव मेरी चल रही किनारे किनारे
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