
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
हर व्यक्ति का जीवन चार गुरुओं से होकर बीतता हैं मातारूपी गुरु ने संस्कार एवं पालन पोषण के द्वारा जीवन के संघर्ष के लिए मजबूत बनाया हैं पिता रूपी गुरु आपको जीवन में व्यवहार करना सिखाता हैं, शिक्षक ने स्कूल में आपको ज्ञान, शिक्षा के माध्यम से आपको जीवन में उच्च स्थान प्राप्त करवाया. सद्गुरु जो आपको दीक्षा देकर दिवाधिदेव महादेव से मिलवाता हैं एक श्रेष्ठ वक्ता देवाधिदेव महादेव हैं तो एक श्रेष्ठ श्रोता भी हमारे महादेव हैं. अमरनाथ की गुफा में जब ज्ञान उपदेश हैं तो पार्वती जी भी उस अमर ज्ञान को माँ जगदम्बा शिव जी को गुरु मानकर स्वीकार करती हैं. सद्गुरु आपको परमात्मा से इस तरह जोड़ देता हैं कि फिर जीवन में किसी और का स्मरण आता ही नहीं हैं, केवल परमात्मा का स्मरण ही आता हैं. आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर तय कर लेना यदि आपका कोई गुरु नहीं हो तो अपने पास के किसी भी शिवालय में जाकर शिवजी को एक लोटा जल अर्पित कर श्री शिवाय नमस्तुभ्यम का जाप कर शिव को अपना गुरु बनाना चाहिए. ईश्वर और गुरु को पाना आसान नहीं होता हैं. नामदेव जी महाराज गुरु दीक्षा लेने के लिए गए देखा वहां बहुत भीड़ थी. लोग गुरु तक पहुच ही नहीं पा रहें. गुरु चरणों का दर्शन कब होगा. गुरुदेव दूर से भांप गए. उन्होंने पूछा तुम अन्दर नहीं आ रहे, नामदेव जी ने कहाँ यहाँ तो बहुत धक्का मारी हैं, गुरु मुस्कुराते हुए कहते हैं, जिसने अपने गुरु के आँगन में धक्के खा लिए उसे जगत के धक्के खाने की जरुरत नहीं पड़ती. जो बच्चे गुरुकुल जाते हैं, उन्हें अपना काम तो खुद करना ही पड़ता हैं. साथ ही गुरुकुल में सेवा कार्य भी करना पड़ता हैं. क्योंकि यदि गुरु के पास आकर यदि इस बच्चे ने सेवा कार्य कर लिया, थोडा परेशानी, थोडा कष्ट उठा लिया तो आगे के जीवन में इसे कभी कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा. एक बार दुर्वासा ऋषि द्वारकापुरी आए परन्तु उनके क्रोधी स्वभाव के कारण कोई उनका आतिथ्य नहीं करना चाहता था. डर था यदि सत्कार में कोई कमी रही तो दुर्वासा मुनि नाराज हो जाएंगे. द्वारकाधीश को जानकारी लगी द्वारका में द्वारका में दुर्वासा जी आए हैं. ऐसे गुरुदेव का स्वागत आतिथेय सौभाग्य की बात हैं. वे दुर्वासा ऋषि के पास गए, उन्हें अपना आतिथेय स्वीकार करने की प्रार्थना की. दुर्वासा जी कहते हैं, क्या तुम हमारे क्रोध से परिचित नहीं हों कृष्ण जी कहते हैं हे गुरुदेव आपके आतिथेय में अद्भुत आनंद हैं फिर आप यदि श्राप भी देंगे तो स्वीकार करेंगे. कृष्ण जी ने सम्मान पूर्वक बुलाया. दुर्वास ऋषि ने उनका निमंत्रण स्वीकार किया. वे भोजन में कभी कुछ मांगते कभी कुछ मांगते हैं. एक दिन दुर्वासा ऋषि ने खीर मांगी. खीर आई तो आधी ग्रहण कर, शेष खीर कृष्ण जी पर गिरा दी. और कहा इस खीर को द्वारकाधीश अपने शरीर पर लगा लो. द्वारकाधीश ने गुरु आज्ञा को मानते हुए वह खीर अपने तन पर लगा दी. रुक्मणि जी को हंसी आ गई. दुर्वासा ऋषि ने कहाँ रुक्मणि हंसी हैं, उन्हें रथ में घोड़ो की जगह लग कर रथ खींचना पड़ेगा. दुर्वासा जी ने कहा द्वारकाधीश तुम्हें रुक्मणि को त्यागना पड़ेगा. आज भी द्वारिका नगरी में माता रुकमनी जी का मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से दूर स्थित हैं. इसी तरह चूँकि कृष्ण जी ने तलवों में खीर नहीं लगाईं इसलिए दुर्वासा मुनि ने कृष्ण जी को श्राप दिया जब प्राण त्यागोंगे तो वह अपने पाँव के तलवों से त्यागने पड़ेंगे. कोई व्यक्ति कितने भी ऊँचे से ऊँचे पद पर पहुच जाए परन्तु यदि आप कभी किसी गुरु की शरण में नहीं बैठे. लेकिन अगर आप कितने भी गरीब हो लेकिन यदि आज आप किसी गुरु की शरण में बैठे हैं तो निश्चित मानिए एक न एक दिन आप ऊँचे मुकाम को प्राप्त जरुर करेंगे. जिस वृक्ष पर एक सफ़ेद रंग से रंग दिया जाता हैं, तो उसे काटा नहीं जाता. यह सुचना देना हैं कि यह वन विभाग का हैं. जब गुरु मंत्र का रंग आप पर रंग जाता हैं तो फिर यह दुनियां आपका रास्ता नहीं काट सकती, आप आगे ही आगे बढ़ते जाते हैं. जल का स्वयं का कोई रंग नहीं होता हैं. जल में आप जो रंग डालेंगे जल/पानी उसी रंग का हो जाएगा. इसी तरह शिव अपने भक्तों के हैं. भक्त शिव को जिस रंग में रंगते हैं, शिव उसी रंग में रंग जाते हैं. एक गुरु में समता का भाव होना चाहिए. चाहे कोई धनपति हो या निर्धन हो भी द्वार पर आए उनके साथ बिना भेदभाव किये मार्गदर्शन करना चाहिए. बिना किसी आडम्बर के गुरु जरुर बनाना. चाहे राम को बनाओं चाहे कृष्ण को बनाओं या शिव को बनाओं जीवन में गुरु अवश्य बनाना. आपको शिव भक्ति से दूर करने वाले कई लोग लोग मिलेंगे. जिस व्यक्ति की नजर में माँ गंगा का जल हो, उसे सरोवर का जल भी माँ गंगा का जल ही लगेगा. और जिसकी नजर में गन्दा जल हो, उसे हर जगह गन्दा जल ही दिखाई देगा. यदि बुद्धि शुद्ध होगी उसको माँ गंगा, यमुना, नर्मदा, माँ सिवन गन्दी नहीं, साफ़ एवं शुद्ध दिखाई देती हैं. (समय की बाध्यता के कारण ऑनलाइन प्रसारण बाधित हुआ. समय उपरान्त भी कुछ समय गुरुदेव के आशीर्वचन और चलते रहें._ आज कुबेरेश्वर धाम, सीहोर में चल रहे छ दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव 2025 का समापन होता हैं. हमारा प्रयास रहता हैं मोबाइल ऐप – Gurudev Pandit Pradeep Mishra एवं वेबसाइट www.gkcmp.in के माध्यम से हम आप तक गुरुदेव की आगामी कथाओं की सुचना, नोटिफिकेशन, सुविचार, भजन, सभी उपाय आदि लाते रहें. यदि हमारे सेवा में कहीं कोई कमी या त्रुटी हो तो हम ह्रदय से क्षमा प्रार्थी हैं. यदि वेबसाइट एवं ऐप सञ्चालन में आप अपना सहयोग देना चाहे तो किसी भी UPI App के माध्यम से अपनी सहयोग राशि 8770151481 पर भेज सकतें हैं. हम आपके सहयोग के लिए आभारी रहेगा. आपके सहयोग से यह वेबसाइट एवं मोबाइल ऐप द्वारा सेवा कार्य अनवरत जारी रहेगा. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हर हर महादेव 🙏🙏🙏
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