
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
हज़ारों लाखों योनियों में जन्म लेने के बाद हमें यह मानव की देह मिलती हैं. इस जन्म के पश्चात हमें पुनः मानव देह मिलेगी या नहीं यह भी निश्चित नहीं. क्योंकि जीवन में ऐसे कई कर्म हो जाते हैं जिसके कारण पुनः मानव शरीर मिलेगा या नहीं इस पर भी प्रश्न खड़ा हो जाता हैं. कुमार खंड में वेदव्यास से वर्णन करते हैं कि मानव शरीर प्राप्त हुआ हैं, और शरीर पूरी तरह से स्वस्थ हैं तो आप के भाग्यशाली व्यक्ति हैं. शिव मंदिर जाने वाले व्यक्ति को, जल अर्पित करने वाले को तिन चीज बिन मांगे प्राप्त हो जाती हैं. चाहे आप शिव जी से यह मांगे या न मांगे आपको शिव यह केवल आपके शिव मंदिर में प्रवेश करने मात्र भर से प्रदान कर देता हैं. आपको यह तिन चीजे बिन मांगे मिल जाती हैं. 1. मन की शान्ति – आप सुबह उठाकर जल अर्पित करने जाते हैं, तो पूरा दिन आपको एक अद्भुत शान्ति का अनुभव होगा. 2. शिव के दरवाजे पर जाने से शिव मंदिर में जल अर्पित कर देने से आपको दिन के लिए सही दिशा मिलती हैं. आप गलत दिशा में नहीं जाते 3. बिन मांगे शिव धीरे धीरे आपको सफलता के पथ पर आगे बढाता चला जाता हैं जिस तरह से वृक्ष की जड़ पे पानी देने हैं, तो वृक्ष की पत्तियों को, फुल को, फल को भी जल प्राप्त हो जाता हैं, उसी तरह कुल देव, पितर देव, अन्य देवता वृक्ष की पत्तियों एवं फल,फुल की तरह हैं. जब हम शिव को जल अर्पित करते हैं, शिव का पूजन करते हैं, सभी की पूजा हो जाती हैं. सभी को जल प्राप्त हो जाता हैं. यदि आप अपने घर से एक लोटा जल अर्पित कर देते हैं, तो सभी देवी देवताओं की पूजा अपने आप हो जाती हैं. देवर्षि नारद जी की बहन ऋषिका एक दिन प्रश्न करती हैं, हम किस तरह शिव भक्ति को प्रारंभ कर सकते हैं. शिव भक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती हैं. तो देवर्षि नाराज जी बताते हैं, शिव भक्ति प्रारम्भ करने के, शिव भक्ति को प्राप्त करने के लिए पांच सीढिया हैं. जिस पर चढ़ कर शिव की शरण प्राप्त होती हैं. पहला, कोई ऐसा शिव भक्त मिले जो स्वयं शिव कथा में, शिव भक्ति में लीन, हो ऐसे शिव भक्तों को जलपान करा दिया तो भी शिव भक्ति प्राप्त होती हैं दूसरा, यदि कही कोई शिव कथा, प्रसंग, भजन कीर्तन चल रहा हो तो वहां सम्मिलित होने का प्रयास करें. तीसरा, कहीं शिव मंदिर जो एकांत में हो, या शिव मंदिर में जब ज्यादा भीड़ न हो तो वहां बैठकर शान्ति से शिव मंत्र का जाप करें. चौथा, शिव मंदिर की साफ़ सफाई करना चाहिए. पांचवी, शिव पर किसी कुआ, बावड़ी, नदी या अपने घर से लाए एक कलश जल को अर्पित करना. देवर्षि नारद अपनी बहन ऋषिका से कहते हैं जो व्यक्ति इन सीढियो पर चढ़ने लगता हैं, वह शिव भक्ति को प्राप्त करता हैं. फिर वह संसार में कहीं भटकता नहीं हैं. शिव की शरण प्राप्त करता हैं. यह शिक्षा ऋषिका ने अपने पुत्र पर्वत मुनि को भी प्रदान करी. देवर्षि नारद को राजा दक्षप्रजापति ने श्राप दिया था तुम एक जगह नहीं बैठ सकते. ऋषिका को जब उनके भाई के बारे में यह जानकारी प्राप्त हुई, उसने रक्षा सूत्र लिया एवं श्री शिवाय नमस्तुभ्यम का जाप करते हुए अपने भाई को रक्षा सूत्र बाँधा. जिसके प्रताप से देवर्षि नारद उस श्राप से मुक्त हुए. कई बार ऐसा होता हैं जब कोई प्रश्न कई दिनों से हमारे मन में होता हैं, हम किसी से पूछ नहीं पाते. कोई संशय होता हैं वह दूर नहीं हो पाता ऐसे में कभी शिव पुराण कथा सुनने बैठते हैं एवं इस 2:30 घंटे की कथा सुनने के दौरान ही आपको अपने उस प्रश्न का जवाब मिल जाता हैं, जिसका जवाब आप कई दिनों से ढूढ रही थी, यह आभास हमें अहसास करता हैं हम अकेले नहीं हैं, शिव हमारे साथ हैं, शिव हमारे प्रश्नों का जवाब भी देता हैं, वह हमारे संशय भी दूर करता हैं. जीवन में मन की शान्ति बहुत आवश्यक हैं, जीवन भर व्यक्ति दौड़ में लगा रहता हैं. कभी शान्ति से बैठा नहीं. अंत में जब वह व्यक्ति चला जाता हैं, तब लोग कहते हैं ॐ शान्ति. जब मन से आप देवाधिदेव महादेव के नाम का उच्चारण करते हैं, तब ह्रदय को अपने आप शान्ति का अहसास होता हैं. लोगो द्वारा भ्रम फैलाया जाता हैं, ॐ नमः शिवाय ऐसे मत जपना नुक्सान हो जाएगा. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम को मत जपो तुम्हारे पूण्य नष्ट हो जाएगें. यह सब पाखण्ड एवं आडम्बर हैं. इन सब में पड़ने की आवश्यकता नहीं हैं. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम का जाप करने वाले व्यक्ति के मुख का दर्शन भी हमें पुण्य प्रदान कर देता हैं तो फिर इस मंत्र का जाप हमें कितना आनंद सुख प्रदान कर सकता हैं. शिव भक्ति करने वाले को ध्यान रखना चाहिए कभी अहंकार नहीं करना चाहिए. आप कितने भी बड़े अधिकारी हो, कितने भी बड़े पद पर हो, कितने भी बड़े मंदिर में जाते हो कभी आपको अहंकार नहीं करना चाहिए. सच्चे शिव भक्त का लक्षण यही होता हैं, वह कभी किसी की बुराई एवं निंदा नहीं करता हैं. यदि कोई व्यक्ति निंदा में डूबा हो, शिव मन्त्रों की आलोचना करता हो, शिव निंदा में लगा रहता हो ऐसे व्यक्ति के चरण भी स्पर्श नहीं करने चाहिए. चरण स्पर्श उसी के करने चाहिए जिसके आचरण अच्छे हो. जिसके आचरण अच्छे न हो, उसके चरण वंदना करने से भी बचना चाहिए. हिन्दू राष्ट्र केवल जोर जोर से बोलने से नहीं बनेगा, जोर से चिल्लाने नारा लगाने से नहीं लगेगा. हिन्दू राष्ट्र तब बनेगा जब हमारे एक हिन्दू भाई पर कोई विपत्ति आए और उसके साथ सम्पूर्ण हिन्दू समाज खड़ा हो तब हिन्दू राष्ट्र बनेगा. गुरुदेव द्वारा आज कथा के माध्यम से दो उपाय बताए गए हैं यह उपाय आप Gurudev Pandit Pradeep Mishra App के उपाय खंड या www.gkcmp.in पर देख सकते हैं. ऐप पर उपाय के वीडियो भी उपलब्ध हैं. कृपया आधे अधूरे एवं शॉर्ट्स में बताए गए वीडियो के आधार पर कोई गलत उपाय न करें इसी के साथ आज कोरबा छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा का द्वितीय दिवस समाप्त होता हैं . कृपया शेयर अवश्य करें श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हर हर महादेव 🙏🙏
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