
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
आप किसी के भाई है तो किसी के काका भी हैं. किसी के काका है तो किसी के पिता भी हैं. इस चराचर लोक मैं हम एक नहीं नहीं कई रिश्तों को एक साथ निभाते हैं. ऐसे में हर रिश्ते के प्रति आपका एक कर्तव्य होता हैं, यही कर्तव्य आपका आपके कार्य के प्रति भी होता हैं. आपका कोई भी कार्य हो, कोई कर्तव्य हो. उसे पूरी निष्ठा से करना चाहिए. छोटे बच्चे जो पढ़ाई कर रहे हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अपना एक लक्ष्य लेकर चलना चाहिए एवं पूरी निष्ठा से उस एक लक्ष्य के प्रति चलना चाहिए. आजकल हम कुछ समय कोई व्यापार करते हैं, थोड़े समय बाद कोई और व्यापार करने लगते हैं. हमें पूरी निष्ठा से एक ही लक्ष्य को तय करना चाहिए, एवं उसके प्रति पूरी ईमानदारी से मेहनत करना चाहिए. निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती हैं. कुछ भक्त केवल श्रावण के महीने में गलत को त्याग देते हैं. मदिरा पान, गलत विचारों, गलत कर्म, गलत भोज्य पदार्थ से दुरी बना लेते हैं. प्रतिदिन शिव मंदिर जाना प्रारम्भ कर देते हैं. हमें वर्ष भर भजन, पूजन का आनंद लेना चाहिए. एवं वर्ष भर गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए. घर में जो खिड़की होती हैं, वह हवा एवं प्रकाश के लिए बनाई जाती हैं. परन्तु यदि उसी खिड़की से कोई चोर घुसता हैं तो वह गलत हैं. परमात्मा ने हमें यह शरीर सत्कर्म के लिए दिया हैं. स्वयं के उद्धार के लिए दिया हैं. परन्तु इस का उपयोग हम परनिंदा में करते रहते हैं. प्रयास करें इस शरीर का उपयोग हम नेक कार्य में करे. जब भी एक हफ्ते में, पंद्रह दिन में या महीने में एक दिन ऐसा समय निकालिए जब आप किसी शिव मंदिर में जाएं एवं वहां अपने सेवा देवे. वहा साफ़ सफाई करें. झाड़ू पोछा करें. और भी जैसे भी सेवा आपसे बन पड़े करें. आपको करता देखकर निश्चित रूप से अन्य भी भी प्रेरणा प्राप्त करेंगे. लिंग पुराण में एक कथा प्राप्त होती हैं अध्याय पांच, पृष्ठ संख्या 85 पर आप यह कथा प्राप्त कर सकते हैं. हमारे यहाँ ‘श्रीमती’ शब्द राजा अमरीश की बेटी से आता हैं. राजा अमरीश की बेटी का नाम ‘श्रीमती’ था. उसके चेहरे पर सुन्दर आकर्षण था. वह प्रतिदिन शिव कथा, शिव भक्ति एवं महादेव की सेवा में लगी रहती हैं. उसके पिता ने कभी नहीं कहा की तुझे शिव भजन करना चाहिए. वह स्वयं आत्म प्रेरणा से शिव भक्ति शिव सेवा में लगी रहती हैं. एक बार देवर्षि नारद एवं देवर्षि नारद के भांजे पर्वत मुनि भ्रमण करते हुए राजा अमरीश के घर पहुचें. थोड़ी देर बाद राजा अमरीश की बेटी ‘श्रीमती’ वहां से गुजरकर गई. दोनों का ध्यान कन्या पर गया. देवर्षि नारद ने राजा से पूछा यह सुन्दर कन्या किसकी पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी ने राजा अमरीश को एकांत में लेजाकर कन्या से विवाह का प्रस्ताव रखा. वहीँ पर्वत मुनि ने भी विवाह का प्रस्ताव रखा. राजा अमरीश बहुत प्रसन्न थे कि उनकी बेटी के विवाह के लिए इतने योग्य प्रस्ताव आया हैं. परन्तु समस्या थी कि दो युवकों में से कैसे तय करें. इस पर राजा ने एक दिन उपरान्त स्वयंवर का आयोजन किया एवं दोनों से निवेदन किया आप दोनों उक्त स्वयंवर में पधारे वह जिसको अपना वर चुनेगी. उसका विवाह उसी से होगा. इस अगले दिन स्वयंवर की जानकारी ले कर नारद मुनि विष्णु जी के पास गए. एवं निवेदन किया प्रभु पर्वत मुनि का मुख बन्दर का हो जाए. भगवान ने कह दिया तथास्तु. वे चले गए उनके उपरान्त पर्वत मुनि आए उन्होंने कहा हे भगवान नारद मुनि का मुह लंगूर का हो जाए. भगवान ने तथास्तु कह दिया. अगले दिन दोनों जाकर ‘श्रीमती’ के स्वयंवर में बैठ गए. ‘श्रीमती’ माला लेकर आ रही थी. वह शिव भक्ति में लगी रहती हैं. इस लिए भगवान भी उसके कल्याण का भाव मन में रखते हैं. ‘श्रीमती’ आती हैं तो देखती हैं एक का मुंह लंगूर का एक का मुंह बन्दर का हैं. एवं इनदोनों के बिच में प्रभु की माया से मायापति(विष्णु जी) खड़े रहते हैं. ‘श्रीमती’ उनके गले में माला डाल देती हैं. दोनों नारदजी एवं पर्वतमुनि दोनों क्रोधित हो कर विष्णु जी के पास गए. एवं अपनी पीड़ा बताई. प्रभु ने कहा यह आप दोनों की इच्छा, एवं आप दोनों द्वारा एक दुसरे के विरुद्ध मांगे गए वरदान के कारण यह परिणाम हुआ हैं. आप दोनों ने वरदान स्वयं के लाभ के लिए मांगते हुए अन्य के नुक्सान के लिए माँगा गया जिसका यह परिणाम हैं. श्रीमती का विवाह भगवान विष्णु से होता हैं. इसलिए श्रीमती लक्ष्मी स्वरूपा मानी जाती हैं. विवाहित स्त्री को श्रीमती का संबोधन भी इसलिए दिया जाता हैं. कि वह लक्ष्मी स्वरूपा रहे, जिससे घर में धन संपदा वैभव बनी रहें. दो चीजे हमेशा अच्छी होनी चाहिए. 1. मति 2. श्रीमति यदि यह दोनों श्रेष्ठ हैं, अच्छी हैं तो आपका घर स्वर्ग सा हैं. यदि आपकी मति अच्छी नहीं, दिन भर क्रोध कर रहे हो, छोटी छोटी बातों पर जोर जोर से बोलने लगते हैं, डाटने लगते हैं तो आपके घर कभी शान्ति नहीं हो सकती हैं. इसलिए भगवान से प्रार्थना करना चाहिए हे प्रभु मेरी बुद्धि को श्रेष्ठ रखना. शिव महापुराण के उमा खंड एवं कौमार्य खंड के अंतर्गत आता हैं. यदि कोई व्यक्ति भले ही मंदिर न जाता हो, भगवत भजन न करता हो, लेकिन यदि गले में रुद्राक्ष एवं मस्तक पर त्रिपुंड लगा लिया तो भी आप शिव भक्ति को प्राप्त करते हैं,शिव कृपा प्राप्त करता हैं. वे बच्चे जो स्कुल कालेज जाते हैं, व्यस्तता के कारण मंदिर नहीं जा पाते, जल नहीं अर्पित कर पाते. वे यदि अपने गले में रुद्राक्ष धारण करते हैं, मस्तक पर तिलक धारण करते हैं. तो भी शिव अपने बच्चों पर नजर रखता हैं. वे शिव कृपा प्राप्त करते हैं. इनदिनों सोशल मीडिया पर कावड़ यात्रियों पर सवाल उठाने वाले लोग नवयुवकों पर सवाल उठाते हैं, इनका भविष्य कैसा होगा, ये जीवन में क्या कर पायेगे. हमें तो उन बच्चों को धन्यवाद देना चाहिए उन्ही के कारण आज सनातन का परचम जगत में लहरा रहा हैं. कभी आपका कार्य नहीं हो रहा हैं, तो धेर्य रखना चाहिए. आप सोचने लगते हैं - “हम तो इतने समय से सेवा कर रहे शिव हमारी सुनता नहीं. मेरी बेटी का विवाह नहीं हो रहा हैं, वह तो बहुत पूजा पाठ करती हैं. “. तो भी आपने शान्ति रखना चाहिए. एक रस्सी जो पत्थर पर बार बार चलती हैं, वह पत्थर पर निशान कर देती हैं. यह तो भोला भंडारी हैं. उसकी करुणा कृपा आज नहीं तो कल हमें प्राप्त होती हैं. थोडा समय लग सकता हैं, परन्तु आपके परेशानियां वह शिव जरुर दूर करेगा. बस हमारी आस्था एवं विश्वास शिव पर बनाए रखें. आप किसी भी शिवालय में जाएं कितनी भी भीड़ हो, एक बार जोर से श्री शिवाय नमस्तुभ्यम बोल देवें, वहां जितने भी होंगे आपकी ओर देखने लगेंगे. तो जब आपके मंत्र बोलने से संसार के लोग आपको देख सकते हैं तो फिर वह देवाधिदेव महादेव तो हमें देख ही सकता हैं. इसी के साथ सात दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा यहाँ विराम लेती हैं. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की अगली शिवमहापुराण कथा - ऑनलाइन श्रावण शमी श्री शिवमहापुराण कथा दिनांक 21 जुलाई 2025 से प्रारम्भ होगी. कथा का समय दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक रहेगा. आप तक सात दिवसीय इस शिव महापुराण कथा के महतवपूर्ण बिंदु आप तक लाने का प्रयास किया. हमारे इस कार्य में कही कोई कमी या त्रुटी रही हो तो Gurudev Pandit Pradeep Mishra App एवं www.gkcmp.in परिवार हृदय से क्षमा प्रार्थी हैं. यदि आपको कार्य अच्छा लगा एवं आर्थिक सहयोग करके हमारे कार्य में सहयोग करके हमें संबल प्रदान करना चाहते हैं तो अपनी सहयोग राशि 8770151481 पर किसी भी UPI ऐप के माध्यम से भेज सकते हैं. यहाँ ध्यान रखे आपकी सहयोग राशि ऐप एवं वेबसाइट के सञ्चालन ले उपयोगी होगी. ताकि हज़ारों लाखो शिव भक्तों तक शिव आध्यात्म की यह धारा पहुँचती रहे. बाबा कुबेरभंडारी की कृपा एवं आशीर्वाद हम पर बना रहे इसी कामना के साथ हर हर महादेव 🙏🙏 श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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