
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
श्रावण महीने में जितना जितना शिव नाम लिया जाता हैं, जितना शिव भक्ति में इस मन को लगाया जाता है, उतना ही जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती हैं. जमीन पर गिरा हुआ व्यक्ति उठ जाता हैं, परन्तु तिन की निगाह में गिरा हुआ व्यक्ति कभी उठ नहीं सकता – माता, पिता, गुरु यदि आप कभी जमीन पर गिर जाते है तो आप उठ सकते हैं, परन्तु माता पिता और गुरु की नजर में आप गिर जाते हैं तो कभी उठ नहीं सकते. यदि प्रतिदिन किसी मंदिर में नहीं जा सकते, प्रतिदिन अपने आराध्य भगवान की पूजा नहीं कर सकते तो अपने घर में जो बुजुर्ग हो उनकी सेवा करलो, उनकी चरण वंदना कर लो तो आपको अपने आराध्य के पूजन का पुण्य प्राप्त हो जाएगा. कभी यह अभिमान नहीं करना चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव मंदिर जा रहे हैं, आप ही हैं जो शिव की भक्ति के बड़े बड़े अनुष्ठान कर रहे हैं ध्यान रखना यह केवल उस शिव की कृपा ही हैं जो आप शिव के मंदिर जा पा रहे हैं, उसकी कृपा एवं इच्छा हैं जो आप बड़े अनुष्ठान कर पा रहे हैं. शिव की कृपा हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती हैं. घर में रहकर भी आप यदि शिव का स्मरण कर रहे हैं, शिव की भक्ति कर रहे हैं तो यह मानकर रहे कि यह कोई पूर्व जन्म का कोई पुण्य हैं जो आप शिव की भक्ति कर पा रहे हैं, शिव का पूजन कर रहे हैं. घर छोड़ने या परिवार छोड़कर जीवन जीने से शिव नहीं मिलते, बाबा बनकर शिव को प्राप्त नहीं किया जाता, बल्कि आप घर में रहकर, परिवार के साथ रहकर ‘बाबा’ का नाम जपकर, बाबा का भजन कर आप ‘बाबा’ की करुणा कृपा प्राप्त कर सकते हैं. जब आप लिफ्ट में बैठते हैं तो लिफ्ट में बैठकर जिस भी फ्लोर का बटन दबाते हैं, आप कुछ ही सेकंड में लिफ्ट से उस फ्लोर पर पहुच जाते हैं. परन्तु जब आप सीढी दर सीढी चढ़ कर अपनी मंजिल पर पहुचते हैं तो उसका आनंद उसको प्राप्त करने की ख़ुशी अद्भुत होती है. इसी तरह दो चीज होती हैं भक्ति एवं मुक्ति – आज कई लोग विभिन्न तरीकों से मुक्ति पाने की अभिलाषा करते हैं. यदि यह यह वस्तु का दान कर दिया तो मुक्त हो जाएंगे. मुक्ति पाना कोई कठिन कार्य नहीं हैं, आप भजन के माध्यम से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं, परन्तु शिव की अविरल भक्ति को प्राप्त करना कठिन कार्य होता हैं. आप धन वैभव कुछ भी भगवान से मांगो वह आपको प्राप्त हो जाएगा, परन्तु यदि आप भक्ति मांगोगे तो वह थोड़ी मुश्किल से प्राप्त होता हैं. क्योंकि यदि आपको एक बार भक्ति प्राप्त हो जाती हैं तो अन्य सभी भौतिक वस्तुएं तो स्वतः ही आपको प्राप्त हो जाती हैं. यदि किसी कारण से आप शिव जी का कोई व्रत नहीं कर पा रहे हो, कोई बीमारी, गर्भावस्था या वृधाअवस्था के कारण यदि व्रत नहीं भी कर पा रहे हैं, तो व्रत कर रहे ऐसे व्रती के मुख का दर्शन भी आप कर लेते हैं तो आपको व्रत का लाभ प्राप्त हो जाता हैं. श्री शिवमहापुराण के विद्धेश्वर संहिता में प्राप्त होता हैं यदि श्री शिवाय नमस्तुभ्यम मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति के मुख का भी दर्शन यदि आप कर लेते हैं तो आपको सोम यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता हैं. यदि आप शिव भक्ति में लीन रहते हैं, शिव की भक्ति करते हैं, शिव भक्त है कभी कोई कुछ भी आपको कहता रहे, आपकी निंदा करता रहे, आपको भला बुरा कहता रहे परन्तु आपने कभी पलट कर जवाब नहीं देना चाहिए. क्योंकि शिव भक्त को जब कुछ कहा जाता हैं तो शिव भक्त जवाब नहीं देता, उसके हिस्से का जवाब देवाधिदेव महादेव देता हैं. जैसा कि आप जानते हैं पूर्व की कथाओं में हमने झूट बोलने के कारण ब्रह्मा जी के एक शीश कटने की कथा श्रवण की हैं. ब्रह्मा जी अपने लोक में जाकर चुप होकर, मौन होकर बैठ गए. वहां नारद जी पहुचे उन्होंने पूछा क्या बात हैं प्रभु आप इतने चुप क्यों हैं, मौन क्यों हैं उन्होंने वृत्तांत बताया कि कैसे उन्होंने झूठ बोला एवं कैसे इस झूठ के कारण उनका एक शीश कट गया. उन्हें बहुत ग्लानी महसूस हुई कि कैसे उनसे अपराध हुआ. वे अपराध बोध से ग्रसित हो कर अत्यंत मौन मुद्रा में चले गए. नारद जी यह वृत्तांत सुन अत्यंत दुखी हुए उन्होंने इंद्र देव से सारी बात बताइ एवं वे भगवान शिव की शरण में गए. भगवान शिव ने बताया ब्रहम देव को गंगा यमुना सरस्वती के संगम त्रिवेणी संगम पर जाकर वहां ब्रहम तीर्थ की स्थापना कर यज्ञ करें. ब्रहम देव तीर्थ संगम गए एवं महादेव को प्रसन्न करने के लिए दुनिया का पहला यज्ञ प्रयागराज के संगम तीर्थ में प्रारम्भ करते हैं. पूजन हेतु शिवलिंग स्वयं माता पार्वती जिस शिवलिंग का पूजन करती थी, उनसे अनुरोध एवं निवेदन कर वह शिवलिंग लाया गया. ब्रहम देव स्नान हेतु संगम की ओर जा रहे थे, उन्होंने वह शिवलिंग भगवान विष्णु के हाथों में सौप दिया, जब तक ब्रहम देव स्नान कर लौटते भगवान विष्णु ने वह शिवलिंग निचे रख दिया. जब ब्रहम देव ने शिवलिंग निचे देखा, उठाने का प्रयास किया परन्तु वे उठा नहीं पाए, भाव विभोर होकर शिवलिंग से लिपट कर अश्रु बहाते रहे, उन अश्रुओं से महादेव का अभिषेक होता रहा. शिव जी प्रकट हुए एवं कहा हे ब्रहम देव यह शिवलिंग एक मात्र वह शिवलिंग हैं जिसका पूजन स्वयं माता जगत जननी करती थी, वहां से वह तुम्हारे हाथे में फिर विष्णु जी के हाथ में होता हुआ आज यह यहाँ स्थापित हुआ हैं. तुम्हारे आसुओं के आभिषेक से वह सिद्ध एवं सुशोभित हुआ हैं. सम्पूर्ण जगत में जन कल्याण के भाव से मैं तुम्हारे द्वारा प्रतिष्ठित शिवलिंग में विराजित रहूँगा. और इस शिवलिंग को तुमने स्थापित किया हैं इसलिए यह शिवलिंग तुम्हारे नाम से श्री ब्रह्मेश्वर महादेव के नाम से जगत में जाना जाएगा, एवं जनमानस का कल्याण करेगा. यह मंदिर प्रयाग राज में दशमेघ घाट पर श्री ब्रह्मेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता हैं, वहा जाते हैं तो उनका पूजन दर्शन अवश्य करना चाहिए. इस तरह आज की श्री शिव महापुराण का द्वितीय दिवस समाप्त होता हैं. गुरुदेव द्वारा आज की कथा में दो सुन्दर उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें आप उपाय खंड में देख सकते हैं.
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