
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भिलाई, छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिवस आज कथा का वाचन किया गया हैं. उक्त कथा का संक्षेप कथा-सार आपके लिए उपलब्ध कराया गया हैं - सुबह सुबह जब मोर्निंग वाक पर जाते हैं, सुबह जब आप घुमने जाते हैं तो आपका स्वास्थय अच्छा रहता हैं, इसी तरह जब सुबह आप शिव मंदिर में जाते हैं एवं जल अर्पित करते हैं तो आपका सम्पूर्ण जीवन अच्छा होने लगता हैं. जीवन में आपको देर सबेर परेशानियां मिलती रहेगी, कठिनाइयाँ आती रहेगी, परन्तु उन परेशानियो के बिच भी यदि आप नेक कर्म करते रहते हैं, सत्कर्म करते रहते हैं तो उन परेशानियों का प्रभाव, कष्ट थोडा कम हो जाता हैं. कई लोग अपने घर में जब बोरवेल करवाते हैं. जब कार्य शुरू ही होता है, वैसे ही कई लोगो के मन में शुरू से ही संशय होता रहता हैं बोरवेल से पानी निकलेगा या नहीं निकलेगा. जबकि जो शिव का भक्त होता हैं, वह मानकर चलता हैं, शिव की इच्छा हैं और हमारा शिव बंजर भूमि पर भी माँ गंगा को अवतरित कर उसे भी हरी भरी कर देगा. तो जब आप शिव भक्ति करें, शिव पूजन करे तब अपने मन में विश्वास भाव रखे, यह मानकर शिव पूजन करें कि शिव आपके साथ ही और वह आपके कष्ट दूर करने के लिए, आपकी तकलीफ दूर करने के लिए वह हर कदम आपके साथ चलेगा. यदि आप पत्रिका या हस्त की रेखाओं को दिखाकर सपना देख रहे हैं कि आप जीवन में ऊँचे पद को प्राप्त करेंगे तो यह कभी संभव नहीं हैं. जीवन में यदि ऊँचे पद को प्राप्त करना हैं तो अपनी मेहनत को चार गुना करके तैयारी करो, और साथ ही जब भी परीक्षा के लिए जाए बेलपत्र पर शहद लगाकर शिव को अर्पित कर के जाइए. आप सफल होंगे. कुछ लोग हमारी आधी अधूरी बात दिखाते हैं, कि बेलपत्र पर शहद लगा कर अर्पित करने से सफलता मिलती हैं. परन्तु वे यह नहीं बताते कि साथ में मेहनत को चार गुना बढ़ाना भी आवश्यक हैं. अपनी मेहनत और शिव का आशीर्वाद इन दोनों के बूते आप सफलता के पथ पर अग्रसर होते रहेंगे. पुलिस विभिन्न अभियानों के अंतर्गत जनता को जागरूक करती हैं, कि शराब पीकर गाड़ी मत चलाओं, हेलमेट पहन कर गाड़ी चलाओं इस सब से पुलिस को क्या लाभ होता हैं. यह लाभ तो हमारे लिए हैं कि हमारा जीवन सुरक्षित होता हैं. इसी तरह शिवमहापुराण कथा को श्रवण करे या न करें, उसकी अच्छाइयों को जीवन में उतारे उसके उपायों से अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर करना न करना आप पर निर्भर करता हैं, आप यदि चाहे तो अपने जीवन की सारी परेशानियों को दूर करने का माध्यम श्री शिवमहापुराण कथा हैं. गायत्री परिवार द्वारा कहा जाता हैं – हम बदलेंगे, युग बदलेगा,हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा. परन्तु आज तो बेटा अपने पिता को सुधारने में लगे हैं, एक बहु अपनी सास को सुधारने में लगी हैं. यदि परिवर्तन लाना हैं, बदलाव लाना हैं तो पहले सुधार और बदलाव हमें अपने भीतर लाने होंगे, उसके बाद सबकुछ अपने आप बदलने लगेगा, अपने आप सुधरने लगेगा. आजकल बड़े बड़े वक्ता होते हैं, कोई इस विषय पर बोलने वाले वक्ता हैं, कोई फला विषय के वक्ता हैं, कोई शिव कथा के वक्ता हैं, कोई राम कथा के वक्ता हैं. तो आखिर यह वक्ता शब्द हैं क्या. वक्ता वह हैं जो आपका वक्त बदल दे वह वक्ता होता हैं. “काबिल-ए-तारीफ़ हे वह जिन्दगी जो महाकाल के चरणों में जगह बनाती हैं छोड़ कर दुनिया की तमाम फ़िज़ूल की बातें, महाकाल के नाम का गुणगान गाती हैं” ताड़कासुर के तिन बेटे थे. तारकाक्ष, विधूममाली, कमलाक्ष. बच्चों ने एक दिन अपने पिता से प्रश्न पूछा. बच्चों ने पूछा – पिताजी, ब्रहम देव से आपका बैर हैं, इंद्र से आपका बैर हैं, विष्णु जी से आपक बैर हैं. सभी देवों से आपका बैर हैं परन्तु केवल एक महादेव हैं जिनसे आपका बैर नहीं हैं. ऐसा क्यों? तारकासुर ने कहाँ नहीं शिव, महादेव से मेरा कोई बैर नहीं हैं. वह मस्त रहने वाला शिव हैं. एक लम्बा समय तो वह साधना में रहता है, बाकी का समय अपने परिवार को सँभालने में निकल जाता हैं. शिव का परिवार केवल गणेश, कार्तिकेय, पार्वती आदि ही नहीं, बल्कि समूचे ब्रहमांड में रहे रहे जीव्, जंतु, वृक्ष, हर कोई उस शिव के परिवार का ही एक अंग हैं.एक भोलेनाथ हैं जिनसे किसी गन्धर्व, किन्नर, देव, सुर, असुर किसी का बैर नहीं हैं. महादेव तो बैर को मिटाते हैं. बड़े होकर उन्होंने ब्रहम देव की उपासना की वर माँगा कभी हमारे प्राण न छूटे. शिव जी ने कहा यह संभव नहीं हैं. यही जन्म लिया हैं, तो म्रत्यु भी आएगी. यदि और कोई वर मांगना है तो हमें वर दो, हमारे लिए तिन पूरी का निर्माण करे, एवं जब भी प्राण छूटे तब हम तीनों के प्राण एक साथ छूटे. तीनों ने बहुत उत्पात मचाया, सभी देव शिवजी के पास निवेदन लेकर गए. तब भगवान शिव ने सभी देवताओं को पशु रूप लेने का कहाँ एवं स्वयं उनके पति बने. पति का अर्थ ही होता हैं भरण पोषण करने वाला. सभी देवताओं को पशु रूप में तीनों पूरी की ओर दौड़ाया तीनों को तारकाक्ष, विधूममाली एवं कमलाक्ष को एक जगह एकत्रित किया. स्वयं महादेव नंदी रूप में रहे. इसी क्रम में उस नंदी का शीश कट कर नेपाल में गिरता हैं, जो कि पशुपतिनाथ के रूप में जाना जाता हैं. वहीँ धड़ केदारनाथ के रूप में जाना जाता हैं. उसी शिवलिंग में से भोलेनाथ प्रकट होते हैं एवं एक ही त्रिशूल से तीनों असुरों का संहार कर सभी देवताओं के कष्टों को दूर करते हैं. अपने बच्चों को बाल्यअवस्था से ही शिवभक्ति के बारे में सिखाएं, एवं बताए सब साथ छोड़ देंगे परन्तु केवल एक महादेव हैं जो आपका कभी साथ नहीं छोड़ेंगे. बचपन में जब बच्चा जल अर्पित करने लगेगा, धीरे धीरे वह आदत बनेगा, बड़ा होकर आध्यात्मिक विचारों वाली वह संतान कभी अपने बूढ़े माँ बाप के आँखों में आसू नहीं देख पाएगी. वैसे ही बेटी को जब विदा करें तो कान में कहे - “बेटा ससुराल में जब भी कोई परेशानी आए तब अपने घर के पास के किसी भी शिव मंदिर में एक लोटा जल लेकर चले जाना, वह भी तेरा पिता हैं, वह संब संभाल लेगा.” तुम्हे घर कभी बन्दुक रखी हो, अन्य कोई अस्त्र या शस्त्र रखा हो तो महादेव से प्रार्थना हे महादेव ऐसी कृपा करना जीवन में हमारा काम हमारी वाणी से ही हो जाए कभी इन अस्त्र शस्त्र की जरुरत ही न पड़े. जब क्रोध आता हैं, यह मात्र 10 मिनिट के लिए आता हैं. परन्तु उस 10 मिनिट में यदि आपने बन्दुक, तलवार से कोई गलत कदम उठा लिया तो आपके जीवन का एक लंबा समय कोर्ट, कचहरी में चले जाएगा. क्रोध आपको आएगा परन्तु उसका भुगताना आपके पुरे परिवार आपके बच्चें, आपकी पत्नी सभी को भूगतना पड़ता हैं. इसलिए कभी भी क्रोध में कोई गलत कदम न उठाएं. वैसे ही सभी बेटियों से भी निवेदन हैं जब आपका विवाह होजाएं अपने ससुराल में कैसे भी हालात हो, परिस्थितिया हो, अपने घर को परिवार को छोड़कर मायके मत आना. धेर्य से शान्ति से स्थिति को संभालने की कोशिश करना. शिव अपने पिता पर विश्वास करना, वह आपके घर को टूटने नहीं देगा. जीवन में कभी माँ और माला को कभी मत छोड़ना. माँ आपको अपने सीने से लगा कर रखती हैं, हमेशा आपके साथ खड़ी रहती हैं. और फिर अन्त में जब आप किसी अस्पताल में होते हैं, सारे घर वाले icu से बाहर खड़े होते हैं, आपको हल्का हल्का होश होता हैं, उस समय आपके साथ आपकी माँ की दुआ और माला से जपा गया श्री शिवाय नमस्तुभ्यम आपके काम आता हैं. अपने आप पर भरोसा दूसरा देवाधिदेवमहादेव पर भरोसा आपको जीवन में सफलता देता ही हैं. भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग के स्वरूप एवं कथा का वर्णन तुमरुका जी ने चंचुला देवी से किया. पति बिंदुक प्रेत योनी से मुक्त हुआ. बाबा देवाधिदेव महादेव जी की पवित्र शिवमहापुराण कथा के लिए शिव जी से तुमरुका जी ने प्रार्थना करी बाबा जहाँ भी शिवमहापुराण कथा हो आप वहां विराजित रहे. बाबा आशीर्वाद देते हैं. जहाँ भी शिवमहापुराण कथा होती हैं मैं स्वयं वहा रहकर अपने भक्तो की कामना पूरी करूँगा. एवं अपने मस्तक से बेलपत्र उठाकर शिव पोथी पर रखकर कथा को विराम देते हैं. इसी के साथ आज सातवे (अंतिम ) दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा समाप्त होती हैं. हमारे द्वारा एक छोटा सा प्रयास किया गया जिससे आप तक कथा का सार सुविधाजनक रूप से एप के माध्यम से आप को प्राप्त हो. इस प्रयास में कोई कमी या त्रुटी रही हो हमें अपना छोटा भाई एक छोटा सेवक समझ कर क्षमा करियेगा. आपका सेवक – विशाल(ऐप एडमिन) 🙏🙏 बाबा भोलेनाथ की कृपा, करुना, आशीर्वाद हम सभी को प्राप्त हो इसी भाव के साथ... हर हर महादेव 🙏🙏 श्री शिवाय नमस्तुभ्यम🙏🙏
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