
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
आज से हैदराबाद में गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हो रही है. आज कथा के प्रथम दिन गुरुदेव द्वारा अजामिल, बिंदुक-चंचुला देवी एवं देवराज ब्राहमण की कथा के बारे में बताया गया. चूँकि उक्त कथाओं को हम पूर्व में कथा सार में विस्तार से बता चुके है अतः पुनः यहाँ संकलित नहीं की जा रही है. जो भी व्यक्ति शिव एवं नारायण में भेद करता है, उनमे अंतर करता है. शिव की पूजा करते हुए नारायण की निंदा करता है, या नारायण, कृष्ण की पूजा सेवा करते हुए शिव की निंदा करता है. उसे मृत्यु लोक से कभी मुक्ति नहीं मिलती, उसे बार बार मृत्यु लोक में जन्म लेना ही पड़ता है. एक समय भगवान नारायण ने पृथ्वी पर तपस्या का विचार किया. वे पृथ्वी पर अलग अलग स्थान पर घूम रहे थे. तभी उनकी भेंट देवर्षि नारद जी होती है. भगवान नारायण एवं देवर्षि नारद एक दुसरे को देखकर मुस्कुराएं. देवर्षि नाराज जी ने पूछा हे प्रभु आज बैकुंठ को छोड़ कर पृथ्वी पर आप घुम रहे है, कुछ विशेष कारण है क्या? नारायण ने कहा है – हे नारद मैं मन मैं तपस्या का भाव लेकर तपस्या हेतु स्थान देख रहा हूँ. कहाँ तपस्या की जानी चाहिए. नारद जी ने कहा – हे प्रभु. नारायण मृत्यु लोक में स्वयं महादेव का निवास है, वे ही आपको बता सकते है, कहाँ पर तपस्या की जानी चाहिए. भगवान नारायण ने शिवजी से तपस्या से के लिए स्थान पूछा तब भगवान देवाधिदेव महादेव ने भगवान नारायण को तिरुमाला पर्वत तपस्या हेतु उत्तम स्थान बताया एवं स्वयं कपिलेश्वर महादेव के रूप में वहां विराजित हुए. दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ होता है, आपके चेहरे की मुस्कान. 84 लाख योनियों में से परमात्मा ने यह एक मानव की योनी को ही यह सुख प्रदान किया है कि हम मुस्कुरा सकते है. पहले बड़े घरों में कोप भवन होता था, जिसे भी नाराजगी होती थी उस कोप भवन में जाता था, आजकल तो पुरे घर को ही कोप भवन दिया गया है. घर का हर सदस्य एक दुसरे से नाराजगी, क्रोध, इर्ष्या का भाव रखने लगा है. एक गलत नारी का संग ना केवल उस व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर देता है, बल्कि उसके सम्पूर्ण परिवार के लिए तकलीफ एवं पीड़ादायक हो जाता है. इसलिए पर स्त्री एवं पर धन (किसी अन्य का धन )से दूर ही रहना चाहिए एक पतंग जितनी उंचाई पर जाती है, उसे काटने वालों की संख्या भी बढ़ जाती है. इसी तरह जो मनुष्य सफलता के पथ पर बढ़ता जाता है, उसे भी पीछे खींचने वालो की संख्या, उसके मनोबल को गिराने वालो की संख्या बढ़ जाती है. जब भी शिव आप शिव मंदिर जाएँ, शिव महापुराण कथा में जाने का सौभाग्य प्राप्त हो, यह मान लेना कभी पूर्व में आपने कोई अच्छे कर्म किये है, पूर्व जन्म में कोई उत्तम कर्म किया होगा तभी आपको शिव भक्ति प्राप्त हुई है. एक पुरुष जब जल शिव पर अर्पित करता है, वह खुद का उद्धार करता है. वही जब एक स्त्री जल अर्पित करती है, शिव पूजन करती है तो वह अपने मायके एवं अपने ससुराल की 71 पीढियो का उद्धार कर देती है. इसी के साथ आज प्रथम दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा यहीं समाप्त होती है. हर हर महादेव श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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