
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश अपनी तपस्या में लीन थे तभी तुलसी जी वहा से गुजर रही थी जो उन्हें देखकर उन पर मोहित हो गई तुलसी जी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे गणेश जी ने ठुकरा दिया. इससे आवेशित होकर तुलसी जी ने गणेश जी के दो विवाह होने का श्राप दिया. एवं भगवान् गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दिया की उनका विवाह एक असुर से होगा. इसी के फलस्वरूप भगवान गणेश जी का विवाह रिद्धि एवं सिद्धि से हुआ एवं तुलसी ने वृंदा का जन्म लेकर जलंधर नामक असुर से विवाह किया. इसी में आगे चलकर गणेश जी को तुलसी चढ़ाना वर्जित माना गया, यहाँ तक की प्रसाद पर भी तुलसी की जगह दूर्वा रखने की परम्परा है. गणेश जी को रिद्धि से क्षेम एवं सिद्धि से लाभ नाम के दो पुत्र प्राप्त हुए. यही शुभ-लाभ नाम से प्रचलित हुए. गणेश जी ने अपनी सिद्धियों से एक कन्या को प्रकट किया था. जो उनकी पुत्री के रूप में माँ संतोषी के नाम से जानी जाती है. स्वस्तिक में बनाई जाने वाली दो रेखाओं को भी रिद्धि-सिद्धि का प्रतिक स्वरूप माना जाता है. यह जानकारी शेयर जरुर करें..जिससे युवा पीढ़ी ख़ास कर बच्चे सनातनी पुराणों की जानकारी से अनभिज्ञ न रहें. जय श्री गणेश श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
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