
ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन
तिन वृक्ष पितरों के तुल्य है - पीपल, वट वृक्ष, बिल्वपत्र तिन पक्षी पितरों के तुल्य है - कौआ, हंस, गरुड़ तिन पशु पितरों के तुल्य है कुत्ता, गाय और हाथी तिन जलचर है जो पितरों के तुल्य है मछली, कछुआ और नाग एक पिंड जल में प्रवाहित किया जाता है, मछली जो पाती है वह पितरों को प्राप्त होता है. गया सुर ने वर दिया था - श्राद्ध पक्ष में जो भी गाय को रोटी देगा, श्राद्ध का भाग देगा उसे गया में पिंडदान करने का पुण्य प्राप्त होगा. कौआ और श्वान(कुत्ता) दो ऐसे जीव है जिन्हें भविष्य में हो रही घटनाओं के भान कुछ समय पहले हो जाता है. क्योंकि यमलोक में यमराज जहां निवास करते है, कौआ और श्वान(कुत्ता) उस स्थान का भाग गृहण करते है. इसलिए इन दो जीवों को भविष्य की होने वाली घटनाओं का भान होता रहता है. कोई दुर्घटना होने वाली होती है तो कुत्ता रोने लगता है. कोई अतिथि आने वाला हो तो कौआ अटारी पर बैठा दिखाई देगा. इसलिए श्राद्ध में एक भाग इन जीवों को भी दिया जाता है. श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
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